नशा क माया जाळ मा ज्वान नौन्याळ
आज ज्वान नौन्याळु क भवैष्य थैं नशा दीमक क तरौं चटणु च। बीड़ि सिगरेट व शराब , हेरोइन, गांजा अर नशा कु धंधा आज सबि जगो मा खुब चलणु च। नशा क जाळ मा फस्यां ज्वान नौना अपणा शरैल क दगड़ मा इन्न ख्यलणा छन जन्न जिन्दगि कु क्वीं महत्व नी च। ज्वनि मा ज्वानु कु ज्यूं अर शरैल अपड़ा कामु थैं लेकैकि उमंग मा रैन्द। जोश अर जुनून ज्वानु क जिन्दगि क लक्ष्य तरफ बढ़ाणा खूंणि प्रेरित करदु। जिन्दगि मा यीं व उमर च जब ज्वानु जै दिसा मा बढ़णा क कोसिस करदा, वीं ऊंकु जिन्दगि कु लक्ष्य बणि जान्द। इल्लै ज्वान यीं उमर मा अपड़ि उमंग अर तागत तैं सै काम करण मा लग्यां, त वु जिन्दगि मा सफल ह्वै सकदन अर अपडु लक्ष्य थैं प्राप्त कै सकदन।
दुसरि तरफ अगर युवा यीं उमर मा गलत संगत अर गलत रस्तौं मा चलि जाला त, ऊंका दगड़ मा ऊंका घार, कुटुम्दरि, कु समाज मा नाम खराब त हूंद हि च, ब्वे-बुबा क बेजती बि हून्द। जिन्दगि क यीं उमर मा हम जै बाटु मा चलणा कोसिस करला, उन्नि नतीजा हमर समणि आला।
आज समाज मा बढ़दा नशा क कारण ज्वान नौंना क भागीदारी पर सवाल खड़ा हूंण छन। जख-जख नशा कु कारोबार अपड़ा जलड़ों थैं फैलाणु च, वख-वख वु नशा क लत लगैकि ज्वानु क तागत थैं खतम करणु च। ज्वान नशा क तरफा जाणा छन अर वै थैं हि अपडु भवैष्य समझणा छन। नशा का कारोबारी ज्वानु थैं नसा कु भ्याळ मा लमडै़ क अपडु धंधा थैं औरि अगनै बढ़ौंणा छन।
आज ज्वानु क चौतर्फा नशा हि नशा च, अर जब वु अपड़ा चौछ्ड़ि नशा हि नशा दय्खद तै कखि न कखि वु यांक चपेट मा ऐ जान्द। इन्न मा अपड़ा भवैष्य क तरफ बढ़ण वळु युवा अपड़ि मंजिल मा पौंछण से पैलि हि बाटु भटकी जान्द। ज्वानु थैं नसा कु भ्याळ मा लमड़ौं खूंणि हमरु समाज अर वैका दगड़यां कु बौत बडु हत्थ हूंद अर कखि न कखि नशा खूंणि कुटुम्दरि कु बि बौत बड़ी जिम्मेबार च। ज्वानु थैं घौर बटि नशा करणा क प्रेरणा मिल जान्द किलैकि हमर घौर मा क्वीं बि बीड़ी सिगरेट, शराब पीन्द त वैथैं बि यांकु स्वाद लिंणा ज्यू ब्वलदु।
अब सवाल यौं च कि क्या भवैष्य मा देसा जिम्मेबरि युंका कान्धौं मा दे सकदो?
सवाल त यौ बि च कि जब यीं नशीला पदाथौं पर प्रतिबंध च, त यीं नशीला पदार्थ आणा कख बटि छन अर ज्वान तक कनकैकि पौंचणा छन? आज नै पीढ़ि थैं शराब पिलांण मा जु फैदा च, वु दूध पिलौंण मा नीच। यीं वु कारण च नशा कारोबरियौं क समणि पुलिस रुप्यौं क गरमैस मा अपड़ा आंखा बुझि दिन्द।
इल्लै हमथैं अब या चिन्ता करण प्वाड़लि कि हम कनकैक नै पीढ़ि थैं नशा से दूर कै सक्या? हमथैं नशा क खिलाप एक नै क्रांति आज बटि हि अर पैलि अपड़ा घौर, अपड़ा कुटुम्दरि बटि सुरू करण प्वाड़लि। हमथैं अपड़ा नौन्याळु थैं नशा से बचौंणा खूंणि सौं लिंण प्वाड़लि अर या बात स्वचणि प्वाड़लि कि जब तक पैलि हम खुद नशा नीं छ्वड़ळा तब तक कुछ नीं ह्वै सकदु।