‘धर्म संसद ‘ में चेतावनी : राम मंदिर का वादा पूरा नहीं हुआ तो दोबारा सत्ता में नहीं आने देंगे – स्वामी परमानंद
विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मांग को लेकर राजधानी के रामलीला मैदान में ‘धर्म-संसद’ नाम से जनसभा का आयोजन किया। VHP के संयुक्त सचिव सुरेंद्र जैन ने कहा, “धर्म संसद का लक्ष्य राम मंदिर निर्माण के लिए सभी राजनीतिक दलों पर दबाव डालना है ताकि संसद के शीतकालीन सत्र में राम मंदिर निर्माण के लिए विधेयक पारित करवाया जा सके।”
जनसभा के लिए बड़ी संख्या में लोग रामलीला मैदान पहुंचे थे। मंच पर वीएचपी के बड़े पदाधिकारियों के साथ कई संत मौजूद हैं। धर्मसभा को साध्वी ऋतंभरा, महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, जगतगुरु हंसदेवाचार्य महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज, आरएसएस के सुरेश (भैय्याजी) जोशी, आलोक कुमार और बीएस कोकजे संबोधित कर रहे हैं।
वहीं स्वामी परमानंद ने मोदी सरकार को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर पीएम नरेंद्र मोदी राम मंदिर निर्माण के अपने वादे को पूरा नहीं करते हैं तो हम उन्हें दोबारा सत्ता में नहीं आने देंगे। उन्होंने कहा कि हम आपकी न तो कठपुतली हैं और न ही आपसे डरते हैं। वहीं, दूसरी तरफ साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि मैं हिंदुओं से एकजुट होने की अपील करूंगी, वरना उन्हें उनका हक नहीं मिलेगा। हिंदुओं में दिक्कत है कि वह जातियों के नाम पर बंटे हैं। उन्होंने कहा कि हमने केंद्र में मोदी और यूपी में योगी की सरकार बनाई।
जनसभा को संबोधित करते हुए RSS के सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने कहा, ‘‘जो आज सत्ता में हैं, उन्होंने राम मंदिर बनाने का वादा किया था। उन्हें लोगों की बात सुननी चाहिए और अयोध्या में राम मंदिर की मांग को पूरा करना चाहिए। वो लोग भावनाओं से अवगत हैं।” बीजेपी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, ‘‘हम इसके लिए भीख नहीं मांग रहे हैं। हम अपनी भावनाएं प्रकट कर रहे हैं। देश ‘राम राज्य’ चाहता है।”
भैय्याजी जोशी ने कहा, सभी पक्ष मंदिर के लिए सकारात्मक पहल करें। हमारा किसी के साथ संघर्ष नहीं, राम राज्य में ही शांति आती है।’ भैय्याजी जोशी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा बनी रहनी चाहिए। जिस देश में कोर्ट में विश्वास घटता है, उसका उत्थान होना असंभव है। इसलिए कोर्ट को भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। देश पर हमला करने वालों के निशान मिटने चाहिए।’
विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष चंपतराय ने कहा, ‘अगर इंडिया गेट से जॉर्ज पंचम हटाए जा सकते हैं, विक्टोरिया गायब हो सकती है, इरविन हॉस्पिटल, विलिंगटन हॉस्पिटल, औरंगजेब रोड के नाम बदले जा सकते हैं, सोमनाथ पुनर्निमाण का संकल्प भारत की राजसत्ता 1950 में कर सकती है, तो आज की राजसत्ता भी संकल्प करे।
हिंदुस्तान की तरुणाई इस राजसत्ता को बल प्रदान करने के लिए यहां आई है। आगे बढ़ो, कानून बनाओ, अयोध्या हिंदुओं का तीर्थ है, मोक्ष नगरी है, ये हिंदुओं का ही तीर्थ रहेगा, किसी आक्रमणकारी का कोई प्रतीक नहीं चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘देश की संस्थाओं को गुलामी अस्वीकार करनी ही होगी। हमें कानून से मंदिर चाहिए। सरकार और न्यायपालिका का धर्म है कि वो जिस देश में रहते हैं, उसके सम्मान की रक्षा करें।
उसके गौरव में वृद्धि करे, जिन आक्रमणकारियों ने देश पर हमले किए, उनकी निशानियां हटाओ। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने भगवान राम के जन्मस्थान के 3 टुकड़े कर दिए। हमें तीन टुकड़े नहीं, पूरा स्थान चाहिए। हम एक इंच जमीन नहीं देंगे। हमें ऐसा कानून चाहिए, जिसमें भगवान राम की जन्मभूमि व लीला भूमि हिंदूओं को प्राप्त हो। हमें बंटवारा स्वीकार नहीं है।’
वीएचपी के संयुक्त सचिव सुरेंद्र जैन ने यहां कहा, ‘‘धर्म संसद का लक्ष्य राम मंदिर निर्माण के लिए सभी राजनीतिक दलों पर दबाव डालना है ताकि संसद के शीतकालीन सत्र में राम मंदिर निर्माण के लिए विधेयक पारित करवाया जा सके।’’ संगठन के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, ‘यह विशाल जनसभा भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए विधेयक न लाने के पक्षधरों का हृदय परिवर्तित कर देगी।’