विधायक विनोद चमोली अफसरों और मंत्री पर बरसे, कहा जनप्रतिनिधि हूँ घसीट कर ले जाऊंगा
UK Dinmaan
देहरादून में हुई जिला योजना समिति की बैठक में धर्मपुर विधायक विनोद चमोली गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया। विधायक साहब अफसरों और मंत्री पर जमकर बरसे। एक अधिकारी के फोन न उठाने पर नाराजगी जताते हुए विधायक चमोली ने कहा की मैं अफसरों की गुलामी नहीं कर सकता। मैं जनप्रतिनिधि हूँ घसीट कर ले जाऊंगा। इसपर मंत्री ने उन्हें शांत करना चाहा तो उनका गुस्सा उनपर भी फूट गया।
बता दे की विधायक चमोली सिंचाई विभाग के नोडल अधिकारी वीके सिंह पर नाराज थे। उन्होंने कहा की कितनी बार फोन करके बुलाया, लेकिन वह एक बार भी नहीं आए। इसी बात पर उन्होंने वीके सिंह को सख्त लहजे में कहा कि ‘मैं विधायक हूं। अक्ल ठिकाने लगा दूंगा। मैं तुम्हारे दफ्तरों के चक्कर काटूंगा तो यह गलतफहमी दिमाग से निकाल दो। जनप्रतिनिधि हूं, घसीट कर ले जाऊंगा’।
विधायक के गुस्से को शांत करने के लिए मंत्री मदन लाल कौशिक ने मामले में हस्तक्षेप कर विधायक को चुप करा अधिकारी से अपना पक्ष रखने को कहा बस इस बात पर विधायक चमोली ने मदन कौशिक को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि ‘ये तरीका ठीक नहीं है। इसका मतलब तो ये है कि मैं झूठ बोल रहा हूं। मैं अफसरों की गुलामी नहीं कर सकता। वो तो सरकार हमारी है, नहीं तो इस अधिकारी को बता देता कि विधायक होता क्या है’।
मंत्री कौशिक ने मामले को शांत करने के लिए कहा मुझे दोनों पक्षों को सुनना पड़ेगा’। यह सुन विधायक एक बार फिर आग बबूला हो गए और बोले कि ‘जब हम पर विश्वास नहीं तो इस बैठक में रहने का क्या मतलब, मैं यहां से जा रहा हूं’। उन्हें रोकते हुए प्रभारी मंत्री ने विधायक चमोली से कहा की यदि ऐसी कोई बात थी तो आपको मुझे फोन करना चाहिए था। इसपर विधायक ने प्रभारी मंत्री से ही सवाल कर डाला की ‘आपके सहारे चलाऊंगा क्या मैं अपनी विधानसभा’।
इस पर प्रभारी मंत्री कौशिक ने अधिकारियो को फटकार लगाई है ,सदस्यों ने सदन में मुद्दा उठाया कि जिला योजना में करीब 31 विभागों को बजट आवंटित होता है। लेकिन, कुछेक विभागों ने हर विकास कार्यो के लिए प्रस्ताव मांगें। अगर विभागीय अधिकारियों को सबकुछ अपनी मर्जी से करना है तो यहां चर्चा का क्या औचित्य। प्रभारी मंत्री ने मुख्य विकास अधिकारी को इस मामले को गंभीरता लेने के निर्देश दिए।
समिति के सदस्यों ने कहा कि विभाग आवंटित बजट के सापेक्ष प्रस्ताव मांगते हैं। लेकिन, कुछ विभागों से संबंधित किसी काम की क्षेत्र में जरूरत नहीं होती। ऐसे में सदस्य प्रस्ताव नहीं दे पाते। नगर निकाय क्षेत्रों में वन और लघु सिंचाई से संबंधित का कोई काम नहीं होता। बैठक में तय हुआ कि कुल बजट के अनुपात में प्रत्येक सदस्य को बजट दिया जाएगा। वह क्षेत्र की जरूरत के अनुसार विकास कार्यो के प्रस्ताव देंगे। नगर निकायों के बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही इनसे चुने जाने वाले समिति के सदस्यों का भी कार्यकाल खत्म हो गया। ऐसे में बैठक में सिर्फ जिला पंचायत से चुने गए सदस्य ही मौजूद रहे। हालांकि, नगर निगम से समिति की सदस्य रहीं एक निवर्तमान पार्षद भी बैठक में पहुंची थीं।