वनराजी जनजाति के किशोरों को चाहिए न्याय : जंगपांगी

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दून। कभी जंतर-मंतर पर तो कभी देहरादून के धरना स्थल पर धरना देते जंसवंत सिंह जगंपागी ने हिमालयन जनजाति सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के राजी जनजाति के नाबालिग बच्चे को निर्दोष साबित करने के लिए दिल्ली से लेकर उत्तराखंड तक न्याय की गुहार लगाई परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली।

जसवंत सिंह जंगपांगी का कहना है कि राजी जनजाति के निर्दोष नाबालिग बच्चे 2005 से आज तक सेंट्रल जेल सितारगंज, उत्तराखंड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे है। उन्होंने कहा कि आदिम जनजातियों के हक-हकूक की बात करने वाली सरकारों के बाद भी दोनों को आज तक न्याय नहीं मिल पाया है।

मंगलवार को सर्व चैक स्थित दून स्पाइस रेस्टारेट में आर.टी.आई. लोक सेवा द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता में जसवंत सिंह जंगपांगी ने बालकों के विषय में बताया कि गगन सिंह (1990 में जन्में) व जगत सिंह (1992 में जन्में) को पुलिस हत्या के आरोप में जब गिरफ्तार किया तो उनकी उम्र 12 व 14 साल थी। पुलिस ने उस समय गलत साक्ष्यों के आधार पर 22 वर्ष का बालिग दिखाकर कर कोर्ट में पेश किया था। जिस कारण बाल सुधार गृह भेजने की बजाय दोनों बालकों को दुर्दांत अपराधियों के साथ जेल में डाल दिया गया था। आज 14 साल बीत जाने के बाद भी वो दोनों जेल में बन्द है।

जसवंत सिंह जंगपांगी ने कहा कि एक ओर निर्भया कांड के अत्यंत दुर्दांत बलात्कार के आरोपी को देश की न्याय व्यवस्था अपराध मुक्ति रिहा करती है, वही विलुप्त होती वनराजी जनजाति के अबोध बालकों को अपराधियों के साथ जेल में आजीवन सजा भुगतनी पड़ रही है।

जसवंत सिंह जंगपांगी कहना है कि वे न्याय के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री न्यायपालिका, मानवाधिकार आयोग, बाल संरक्षण आयोग, मुख्य सचिव और यहां तक की कई अंतराष्ट्रीय संस्थाओं तक से गुहार लगा चुके है लेकिन अफसोस जनजाति के युवाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि मेरे द्वारा लगाये गये आरोप यदि गलत सिद्ध होते है तो मेरे ऊपर देश द्रोह का मुकदमा लगाया जाय। उन्होंने कहा टेक्नोलाॅजी के इस युग में डीएनए टेस्ट से किसी भी वास्तविक उम्र का पता लगाया जा सकता है तो फिर क्यूं नहीं इन दोनों बालकों को यह सुविधा दी जा रही है। वहीं उनका कहना है कि गगन सिंह व जगत सिंह के जन्मतिथि की प्रामाणिकता किसी भी व्यक्ति व जांच एजेंसी द्वारा ग्राम जमतड़ी, अस्कोट, थाना-पिथौरागढ़ के परिवार रजिस्ट्रर से की जा सकती है।

वहीं जसवंत सिंह जंगपागी ने कहा कि भारत जैसे लोकतंत्रातिक देश में वास्तविक मुद्दे व संघर्ष को मीडिया भी जगह नहीं दे रहा है।

वहीं आरटीआई लोक सेवा के अध्यक्ष मनोज ध्यानी ने जंगपांगी का समर्थन करते हुए मीडिया के साथियों से अपील की कि जंगपाजी की आवाज को बल प्रदान करें। उन्होंने कहा कि जसवंत सिंह जंगपांगी पिछले 12 सालों से इस गम्भीर मुद्दें के लिए आवाज अकेले ही उठाये हुए है और पिछले 5 सालों से अपने घर तक नहीं गये। मनोज ध्यानी ने इस मामले की निष्पक्ष जांच कर न्याय की मांग की है। इस मौके पर गैरसैंण राजधानी निर्माण संघर्ष समिति के संयोजक लक्ष्मीप्रसाद थपिलयाल, रविंद्र प्रधान, सोहन सिंह रावत, मदन भण्डारी आदि उपस्थित थे।

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