उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी ने लगाई सरकार से पेंशन भुगतान करने की गुहार

कोरोना संक्रमण को देखते सरकार द्वारा समाज कल्याण के माध्यम से संचालित विभिन्न पेंशन योजनाओं के सभी पात्र लाभार्थियों को अग्रिम अगले तीन महीने की पेंशन उनके खातों में डाल दी है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण के संकट के समय भी सरकार द्वारा राज्य आंदोलनकारियों के की उपेक्षा ही की जा रही है। आंदोलनकारियों की मदद तो दूर सरकार द्वारा राज्य आन्दोकारियों को संकट से समय पेंशन का भुगतान भी समय पर नहीं किया जा रहा। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या पूर्ण रूप से विकलांग आंदोलनकारियों को हो रही है, जो पूरी तरह किसी सहायक या परिवार पर ही निर्भर है।

अब आलम यह है कि पेंशन के राह ताकते ताकते आंदोलनकारी झुंझलाने लगे है। सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार से गुहार लगा रहे है। पेंशन न मिल पाने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी का सामना पूर्ण रूप से विकलांग राज्य आंदोलनकारिया को करना पड़ रहा है।

गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के प्रमुख रणनीतिकार मनोज ध्यानी जी ने बताया कि उनके पास लगातार फोन आ रहे हैं कि सरकार से अनुरोध कर तुरन्त पेंशन निर्गत करवाने का कष्ट करें।

गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के प्रमुख रणनीतिकार मनोज ध्यानी जी नेे कहा कि उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को फुटबॉल समझ लिया है, ऐसा लगता है। किक करो, ड्रिबल करो, हेड या थ्रो करो बस। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि पहले तो सरकार ने पेंशन की ऐसी घटिया व्यवस्था निर्मित की है। आंदोलकारियों की पेंशन पहले पुलिस महानिदेशक शासन निर्देशन पर जिलाधिकारियों को भेजेंगे, फिर जिलाधिकारी कार्यालय बैंक को और फिर बैंक आंदोलनकारियों को इस इस प्रक्रिया में सभी पक्ष अपने खजाने में पेंशन के धन को कुछ समय के लिए अपने पास रखना चाहतेे ताकि ब्याज का लाभ लिया हो सके।

गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के प्रमुख रणनीतिकार मनोज ध्यानी ने बताया कि इस सम्बन्ध में प्रदेश मुखिया, नेता प्रतिपक्ष, और अन्य नेतागण को ट्वीट आदि के माध्यम से बारबार अवगत करवाया है कि पूर्ण विकलांग, अर्द्ध शहीद आंदोलनकारी, बुजुर्ग आंदोलनकारी, सक्रिय आंदोलनकारियों को पिछले सभी माह की रुकी हुई पेंशन का संकट के इस काल अभिलम्ब भुगतान करें।

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