हक की लड़ाई एक जुट होकर लड़ेंगे ‘उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी’
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारियों नेे उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संयुक्त संगठन के बैनर तले गांधी पार्क के गेट पर धरना दिया। आंदोलनकारियों ने कहा कि राज्य स्थापना दिवस से पूर्व उनकी लंबित मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो सभी जिलों में जनप्रतिनिधियों का घेराव और मुख्यमंत्री आवास कूच किया जाएगा।
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारियों नेे का कि अभी तक वह अलग-अलग संगठन मांगों को लेकर आंदोलनरत थे, लेकिन सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी। जिस कारण आन्दोलनकारियों ने कहा कि हम हम सब एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे।
राज्य आंदोलनकारी सावित्री नेगी ने कहा कि जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी कई बार सरकार से वार्ता के लिए गुजारिश की गई, लेकिन सरकार ने इस ओर अनदेखी की। ऐसे में उन्हें सांकेतिक धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि चार वर्षों से लंबित मंगों पर शीघ्र कार्रवाई के लिए आगे भी संघर्ष किया जाएगा। इस दौरान कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने भी आंदोलनकारियों को समर्थन दिया।
वहीं राज्य आंदोलनकारियों ने ऋषिकेश में शहीद स्मारक तोड़े जाने पर नाराजगी जताई। कहा कि हाईवे चौड़ीकरण के नाम पर सरकार आंदोलनकारियों सपनों को तोड़ने का कार्य कर रही है।
राज्य आन्दोलनकारियों की मुख्य मांग-
मुजफ्फरनगर खटीमा मसूरी गोलीकांड के आरोपितों को सजा हो।
राज्य आंदोलनकारियों का 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण शिथिलीकरण एक्ट लागू हो।
चार वर्षों से लंबित चिह्नीकरण प्रक्रिया के साथ ही समान पेंशन, राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद का गठन किया जाए।
शहीद परिवारों और राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन का शासनादेश फिर से लागू हो।
गैरसैंण स्थायी राजधानी घोषित की जाए।
समूह ग भर्ती के लिए रोजगार कार्यालय पंजीकरण में स्थायी निवास प्रमाण पत्र को अनिवार्य पुनः बहाल किया जाए।
राज्य में सशक्त लोक आयुक्त का गठन किया जाए।
भू कानून वापस लिया जाए।
राज्य आंदोलन के शहीद स्मारकों का संरक्षण व निर्माण किया जाए।
धरने में जगमोहन नेगी, प्रदीप कुकरेती, भूपेंद्र रावत, वेदप्रकाश शर्मा, लक्ष्मण सिंह भंडारी, रमन शाह, विजेंद्र पोखरियाल, गणेश डंगवाल, पूर्ण सिंह लिंगवाल, ललित जोशी, सुदेश सिंह, सुलोचना भट्ट, झबर सिंह पावेल, जीतपाल बर्त्वाल, अजय माथुर आदि रहे।