उत्तराखंड: तेजी फैल रही नशाखोरी, कहीं बन न जाए उड़ता पंजाब

UK Dinmaan

उत्तराखंड में भी नशाखोरी की जड़ें बढ़ी ही फैलती जा रही हैं। उत्तराखंड में पुलिस ने पिछले एक साल के भीतर सात करोड़ की नशे की सामग्री बरामद की। यह आंकड़ा अब तक पकड़े गए नशे के किसी भी साल से ज्यादा है। इस दौरान 934 मुकदमें और 980 लोगों को गिरफ्तार किया गया। लेकिन आज भी
इस खेल के बड़े खिलाड़ी पुलिस की नजरों दूर हैं।
बीते वर्ष 2018 में नशे के खिलाफ पुलिस ने दून में हाफ मैराथन से लेकर प्रत्येक जिलों में जन जागरूकता के कई बड़े-बड़े आयोजन किये ताकि लोगों को नशे के दुष्परिणाम से होने वाली जानकारी दी।

पुलिस उत्तराखण्ड में 13 जिलों में पिछले एक साल के भीतर नशे के कारोबार में लिप्त पाए गए 980 लोगों पर 934 मुकदमे दर्ज किए गए। उत्तराखण्ड के तीन बड़े जिले देहरादून, ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार में नशाखोरी में सबसे ज्यादा कार्रवाई की गई।

सूत्रों की मानें तो नशे के इस धंधे में सौदागार से लेकर खरीदारों में युवाओं की संख्या 70 फीसद थी। इसमें भी स्कूल, कॉलेज और प्राइवेट संस्थानों में डिग्री, डिप्लोमा लेने वाले युवा शामिल बताए गए। पूरे साल चले अभियान के दौरान पुलिस ने 974 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। जबकि 99 अभी भी फरार चल रहे हैं। बरामद नशे की सामग्री से साफ है कि प्रदेश में चरस, स्मैक, डोडा, भांग और अफीम के बाद नशीली दवाओं का सबसे ज्यादा कारोबार है।

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि नशाखोरी के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई जारी रहेगी। छोटे सौदागर के बाद अब बड़े गिरोह के पकड़ने के लिए पुलिसिया कार्रवाई की जायगी ताकि प्रदेश को नशे सेे जड़मुक्त किया जाए।

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