त्यूणी में पुल पर दिया महिला ने बच्ची को जन्म

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं ’ का नारा बुलन्द करने वाली सरकार में पहाड़ो में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के कारण गर्भ महिला को प्रसव के लिए सरकारी अस्तपाल से निराशा ही मिल रही है। जी हां सुरक्षित प्रसव की आस में सीमांत इलाके से आ रही इस महिला को आपातकालीन सेवा 108 ने भी हायर सेंटर पहुंचाने से खड़े कर दिए थे हाथ। परेशान परिजन फिर पैदल ही उसे हिमाचल सीमा में आने वाले रोहड़ू अस्पताल की और लेकर चल पड़े, लेकिन तकरीबन तीन सौ मीटर चलने के बाद ही महिला को असहनीय पीड़ा होने लगी। यह देख आसपास की महिलाओं ने चादर का पर्दा बनाकर झूलापुल पर उसका प्रसव कराया। जच्चा-बच्चा दोनों सकुशल हैं।

मामला उत्तकाशी के बंगाण क्षेत्र के इशाली थुनारा गांव निवासी दनेश की पत्नी बनीता को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन वाहन में लिफ्ट लेकर राजकीय अस्पताल त्यूणी लाए। अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने और जरूरी संसाधनों की कमी का हवाला देकर स्टाफ ने प्रसव पीड़िता को अन्य अस्पताल में ले जाने की सलाह दी।

परिजनों ने आपातकालीन सेवा 108 के कर्मचारियों से उसे सीमावर्ती हिमाचल प्रदेश के रोहडू अस्पताल ले जाने की गुजारिश की, लेकिन स्टाफ ने इससे इन्कार कर दिया।

निराश परिजनों ने उसे सार्वजनिक वाहन से रोडहू ले जाने की योजना बनाई। इसके लिए उन्हें नया बाजार त्यूणी पहुंचना था। तभी झूलापुल पर वह दर्द से कराहने लगी। परिजनों को हाथ-पांव फूल गए। चीख पुकार सुनकर झूलापुल से गुजर रहे लोगों ने इसकी सूचना गुतियाखाटल गोरखा बस्ती की महिलाओं को दी। थोड़ी ही देर में आसपास की महिलाएं चुनी व चादर लेकर झूलापुल पर पहुंची और प्रसव पीड़िता के चारों तरफ घेरा बनाकर किसी तरह उसकी डिलीवरी कराई। महिला ने बेटी को जन्म दिया। जच्चा-बच्चा दोनों सकुशल बताए जा रहे हैं।

पिछले दिनों ऐसा ही मामला पौड़ी जिले में सतपुली में भी देखने को मिला था। जब सतपुली से रैफर की गई गर्भवती महिला 108 के खराब होने के कारण प्रसव पीड़ा के लिए 108 में ही तड़फती रही।

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