तंबाकू बैन: उत्तराखण्ड सरकार की सराहनीय पहल . . .
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उत्तराखण्ड प्रदेश सरकार ने राज्य में पान मसाला के साथ प्रयोग में लाए जा रहे तंबाकू के उत्पादन, ब्रिकी व भंडारण पर रोक लगा दी है। खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने इसके आदेश जारी कर दिऐ। उत्तराखंड सरकार से पूर्व महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान में चबाए जाने वाले तंबाकू के उत्पादन और ब्रिकी पर रोक पहले ही लगाई जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में तंबाकूयुक्त गुटखा बैन कर दिया था। इसके बाद कई कंपनियों ने तंबाकू और सुपारीयुक्त पान मसाला के अलग-अलग पैक बनाकर बेचना शुरू कर दिया। उत्तराखण्ड खाद्य सुरक्षा आयुक्त द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि तंबाकू तथा निकोटिनयुक्त गुटखा, पान मसाला या अन्य खाद्य पदार्थ, जो किसी भी नाम से बाजार में बिक रहे हो को एक साल को प्रतिबंधित किया जाता है। आदेश में कहा गया है कि जन स्वास्थ्य को देखते हुए राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है।
गुटखा व पान मसाले को लेकर पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एज्यूकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ में हुए एक अध्ययन में यह पाया गया कि गुटखा खाने का बुरा असर हमारे शरीर के विभिन्न अंगों पर होता है।
भारत में दुनिया के दूसरे देशों की अपेक्षा कैंसर होने के खतरे सबसे ज्यादा होते हैं। गुटखे में तंबाकू, कत्था, सुपारी, चूने के साथ और कई नशीले पदार्थों को मिलाया जाता है, जो हमारे शरीर के एंजाइमों पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
गुटखा हमारे शरीर में टाॅक्सिन बनने की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाता है। जो हार्मोन टाॅक्सीन बनाते हैं, यह उनको नुकसान पहुंचाता है। पीजीआई चंडीगढ़ के डिपार्टमेंट आॅफ बायोफिजिक्स के मुख्य अनुसंधानकर्ता डाॅ. के अनुसार गुटखे का आदमी और जानवर दोनों पर ही विपरीत प्रभाव पड़ता है। धुआंरहित तंबाकू से न केवल मुंह और दांत संबंधी समस्याएं होती हैं, बल्कि शरीर के कई अंगों जैसे फेफड़ों, लीवर और किडनी पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है ऐसे में सवाल यही भी है कि यदि गुटखा व तम्बाकू युक्त पान मसाला मानव शरीर के लिए इतना खतरनाक है तो फिर इसे पूर्ण रूप से बन्द क्यों नहीं किया गया?
बहरहाल देर आये दुरस्त आये। प्रदेश में तंबाकू युक्त गुटखा बैन करने के लिए उत्तराखण्ड सरकार बधाई की पात्र है। सरकार का यह सराहनीय प्रयास है सरकार के इस पहल की प्रशंसा तो बनती ही है।