सुषमा स्वराज के अनसुने किस्से
UK Dinmaan
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अब नहीं रहीं। उनके निधन से हर कोई स्तब्ध है, दुखी है। सदन में आक्रामक तरीके से अपनी बात रखने वालीं सुषमा स्वराज का हृदय मानवता के लिए धड़कता था। अपने ट्वीटर के जरिए देश ही नहीं दूसरे देशों के नागरिकों मदद को हमेशा तत्पर रहती थी।
आइए जानते सुषमा स्वराज की उन 24 कहानियों के बारे में जिन्हें जानना चाहेंगे आप . . .
सुषमा स्वराज हर दिन अलग रंग की साड़ी पहनती थी। सुषमा स्वराज हर दिन अलग-अलग रंग के कपड़े पहती थीं। इस बारे में वे हमेशा कहती थीं कि इसके पीछे कोई धार्मिक धारणा नहीं है, बल्कि यह एक अच्छे वार्डरोब मैनेजमेंट को दर्शाता है। वह सोमवार को सफेद या क्रीम रंग की साड़ी ही पहनती थीं. मंगलवार को केसरिया शेड, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को ग्रे, शनिवार को नीला या काला और रविवार को लाल अथवा भूरे रंग के शेड की साड़ियां पहनती थीं।.
हर दिल अजीज सुषमा स्वराज अधिकतर चैंडे बॉर्डर वाली साड़ी पहनती थीं। बीच मांग में सिंदूर और माथे पर बड़ी लाल बिंदी उनकी छवि एक आदर्श भारतीय नारी के रूप में प्रतिस्थपित करती थी। इस परफेक्ट भारतीय लुक में अक्सर नजर आने वालीं सुषमा स्वराज के ड्रेसिंग सेंस की कायल अनेक लोग थे।
बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की सुषमा स्वराज कृष्ण की अनन्य भक्त थी.ब्रज चैरासी भजन सुनना उन्हें बेहद पसंद था.हर साल वृंदावन और मथुरा जाकर भगवान कृष्ण का दर्शन करने जाने वालीं सुषमा धार्मिक मान्यताओं का पालन करती थीं और करवाचैथ का व्रत पूरी शिद्दत के साथ रखती थीं.
आर्मी अफसर बनना चाहती थीं सुषमा: पहले अगर सेना में महिलाओं की एंट्री प्रतिबंधित नहीं होती तो देश को सुषमा स्वराज के रूप में एक सैन्य अफसर तो मिलता, लेकिन वह बड़े लीडर से वंचित हो जाता। एक समय सुषमा अंबाला के एसडी कॉलेज की बेस्ट एनसीसी कैडेट हुआ करती थीं। उन्होंने अपने जमाने की उस तस्वीर को अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया था। सुषमा आर्मी ज्वॉइन करना चाहती थीं, लेकिन उस समय आर्मी में महिलाओं को अनुमति नहीं मिलने के कारण वे अपने इस सपने को पूरा करने से वंचित रह गईं।
सुषमा स्वराज को लगातार तीन वर्षों तक एसडी कॉलेज के एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ सैनिक छात्रा घोषित किया गया। हरियाणा के भाषा विभाग द्वारा आयोजित एक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उन्हें लगातार तीन वर्षों तक सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता पुरस्कार प्रदान किया गया। वह अक्सर वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में पहले स्थान पर होती थीं।
सबसे कम उम्र में किसी राज्य की कैबिनेट मंत्री बनने वाली नेता के रूप में पहला नाम सुषमा स्वराज का है। 1977 में 25 साल की उम्र में वे हरियाणा की कैबिनेट मंत्री बन गई थीं। भाजपा में पहली महिला प्रवक्ता का श्रेय भी सुषमा को जाता है। सुषमा स्वराज पहली और एक मात्र महिला सांसद हैं, जिन्हें आउटस्टैंडिंग पार्लियामेंट्रियन का अवॉर्ड मिला है। वे भाजपा की ओर से पहली बार दिल्ली की महिला मुख्यमंत्री भी रहीं। सुषमा भाजपा में पहली महिला महासचिव भी रह चुकी हैं।
14 फरवरी 1975 को सुषमा स्वराज की शादी स्वराज कौशल से हुई। स्वराज कौशल सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक मामलों के वरिष्ठ वकील हैं। वह वर्ष 1990 से वर्ष 1993 तक मिजोरम के राज्यपाल रह चुके हैं। वर्ष 1998-2004 के बीच राज्यसभा सदस्य भी रहे। स्वराज कौशल अभी तक सबसे कम आयु में राज्यपाल का पद प्राप्त करने वाले व्यक्ति हैं। सुषमा स्वराज और उनके पति की उपलब्धियों के ये रिकॉर्ड लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करते हुए उन्हें विशेष दंपत्ती का स्थान दिया गया है।
सुषमा हर काम की तैयारी पहले से करती थीं और उसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास करती थीं। कोई भी काम हो, वे पहले टार्गेट सेट करती थीं और उसे तय समय-सीमा में पूरा करती थीं।
सुषमा सिर्फ हिंदी ही नहीं बल्कि अंग्रेजी के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में भी भाषण देती थी। बेल्लारी से चुनाव लड़ते वक्त कन्नड़ में भाषण दिया। केरल और तमिलनाडु के चुनाव के दौरान उन्होंने तमिल और मलयालम में भी भाषण दिए।
सोनिया के खिलाफ बेल्लारी से लड़ी थी चुनाव सुषमा स्वराज का मुकाबला कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ था। 1990 के दशक में बीजेपी ने सोनिया गांधी को टक्कर देने के लिए सुषमा स्वराज को बेल्लारी से मैदान में उतार दिया। . कर्नाटक के लोगों से संवाद करने के लिए सुषमा स्वराज ने कन्नड़ भाषा सीखी। भले ही इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल न हुई हो, लेकिन केवल 2 हफ्ते के चुनाव प्रचार में कन्नड़ भाषा में कर्नाटक के लोगों के सामने अपनी बात रखकर उन्होंने बेल्लारी के लोगों का दिल जीत लिया।
बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशन के प्रोग्राम वर्ल्ड संस्कृत अवार्ड 2018 में संस्कृत में भाषण दिया था।
अटल बिहारी वाजपेई और आडवाणी भले ही सुषमा की राजनीतिक शैली के कायल रहे , लेकिन सुषमा अटल और आडवाणी को ही अपना आदर्श मानती रहीं ।
सुषमा स्वराज किसी वक्त चंद्रशेखर को अपना मेंटोर मानती थीं। हालांकि, बाद के दिनों में वे लाल कृष्ण आडवाणी के करीब आ गईं और फिर भारतीय जनता पार्टी में उनका कद काफी ऊंचा होता चला गया। एक वक्त यह भी आया कि कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं का एक वर्ग उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मानने लगा।
सितम्बर 2012 में ‘‘बाल ठाकरे ने सामना में छापे अपने इंटरव्यू में कहा था वर्तमान में, शीर्ष पद के लिए सुषमा अत्यंत उपयुक्त हैं। मुझे लगता है, वह एक तेज-तर्रार प्रधानमंत्री साबित होंगी।‘‘, ‘‘प्रधानमंत्री पद के दावेदारों की लम्बी कतार है। केवल सुषमा इस पद की लायक हैं, बुद्धिमान हैं और प्रधानमंत्री पद के लिए सर्वोत्कृष्ट पसंद मानी जा सकती हैं।‘‘
सुषमा स्वराज की मेमोरी बेहद शार्प थीं और वे जिससे एक बार मिलती, उसे हमेशा याद रखती थी। वे समय पर अपने कार्यक्रमों में पहुंचने के अलावा जिसको मिलने का समय देती थीं, उससे भी तय समय पर मिलती ही थीं।
वह हरिणाया के पलवल में अपने माता-पिता के पास नहीं पली बढ़ीं बल्कि उनका पालन पोषण अपनी मां के मामा यानी नाना-नानी के यहां हुआ। वहां उन्हें अपने घर से अधिक आजादी मिली क्योंकि हरियाणा के पलवल का समाज लड़कियों के मामले में अधिक कंजरवेटिव था। नाना-नानी के यहां सुषमा को बाहर जाने की भी आजादी थी। इसी वजह से स्कूल के दिनों में वे एनसीसी के कैंप में भी जाती थीं और डिबेट में भाग लेती थीं।
सुषमा स्वराज ने साक्षात्कार में कहा था कि उनके नाना काफी प्रगतिशील विचारों के थे। इसलिए उन्हें कभी रोका ही नहीं गया। वह बचपन में लड़कियों वाला खेल नहीं बल्कि भाइयों के साथ लड़कों वाले खेल खेलती थीं।
सुषमा स्वराज को कविताएं काफी पसंद थीं। वे अक्सर कविताएं पढ़ती। म्यूजिक की बात हो तो उन्हें क्लासिकल म्यूजिक पसंद थीं। वे खाली समय में ड्रामा भी देखती थीं। उन्हें फाइन आर्ट्स में भी काफी रुचि थीं.इकोनॉमी, डिफेंस और इन्फॉर्मेशन उनके पंसदीदा विषय थे।
सुषमा स्वराज को सादा खाना पसंद था.वे ज्यादा तला-भुना भोजन खाने से बचती। हालांकि उन्हें कचैड़ी बहुत पसंद थे। इसके अलावा खाने में उन्हें मेथी की भाजी, पराठे और कढ़ी बेहद पसंद थी।
सुषमा दक्षिणी दिल्ली से सांसद रहते हुए वह यहां के लोगों के दिल में बस गई थी। यही वजह थी कि सांसद नहीं रहने पर भी वह हर साल अपना जन्मदिन झुग्गी बस्ती के लोगों के साथ मनाती थीं। आरके पुरम स्थित झुग्गी बस्ती को उन्होंने सांसद रहते हुए गोद लिया था। यहां उन्होंने नाली से लेकर सड़क और बिजली की सुविधा उपलब्ध कराई थी।
सुषमा को 7 नवंबर 2016 को एम्स में भर्ती किया गया था. 16 नवंबर 2016 को उन्होंने खुद ट्वीट कर अपने स्वास्थ्य की जानकारी दी थी और बताया कि किडनी फेल्योर के चलते वह एम्स में भर्ती हैं, जहां किडनी प्रत्यारोपण होना है।
भारतीय संस्कृति की पहचान और परपंरा निभाने के लिए हमेशा आगे रहती थीं। यही कारण था कि हर साल तीज का त्योहार मनाना हो या फिर करवा चैथ, वह इसका आयोजन अपने घर पर ही करती थीं। करवा चैथ की कहानी वह महिलाओं के साथ ही बैठकर सुनती थीं।