मतपत्रा जरिया चुनौ करौंण मांग तैं सुप्रीम कोर्टन कायी खारिज
दून। सुप्रीम कोर्टन मतपत्रा जरिय चुनौ करौंण मांग खूणि मना कै दे अर वीवीपैडा सबि परची तैं गिणणा मांग खूणि बि सुप्रीम कोर्टन मना कै दे।
कोर्टन याचिकाकर्ता तैं बोलि कि सर्या चुनौ क बन्दबस्त पर सवाल खड़ा करणा से लोगु क ज्यूं मा शक पैदा करणु गलत च। कोर्टन चुनौ म दूसर अर तिसरू नम्बर पर रैंणा वला प्रत्याशियों तैं यु अधिकारी दे की अब वु नतीजौं क 7 दिना भितर जांच करणा मांग कै सकदन।
बतै दियां क मुख्य याचिका कर्ता ऐसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स क तरफा बिटि वकील प्रशांत भूषणा न 3 मांग कै छायीं। बैलेट पेपर न मतदान दूबरा सुरु कर्ये ज्यां। वीवीपैड बिटि निकलण वलि परची मतदाता क हत्थ मा दियें ज्यां, जै से वु वीं परची तैं डब्बा मा डालि सक्यां अर यांका बाद सबि परचियों की गिन्ति कर्ये ज्यां।
वीवीपैड का डब्बा मा सबि कुछ दिख्येंण चैंद अर जैमा लगातार लैट जलण चैंद।
यांका अलाव एक हौरि याचिकाकर्ता न वकील संजय हेगड़े न मांग कायी कि वीवीपैड मा बार कोड छपणा कु बन्दोबस्त करै जाण चैंद। बार कोड लगण से परची क गिन्ति मसीन से ह्वे सकदि।
सुप्रीम कोर्टन म चुनाव आयोग वकील मनिंदर सिंह न कोर्टा सबि सवालु क जवाब दे। अर बतै कि मसीनु क बणण, वैमा सिंबल लोड करण, मतदान से पैलि प्रत्याशियों क समणि मॉक पोल म पारदर्शिता हूंद। उन्न मा कन कैकि ईवीएम सिस्टमा दगड़ि क्वीं छेड़ि नी कै सकदू। मतदाना बाद ईवीएम क तिन्यां यूनिट कंट्रोल यूनिट, बटन यूनिट अर वीवीपैट सम्भालि रखै जांद।
यांका बाद सुप्रीम कोर्टा जस्टिस संजीव खन्ना अर दीपांकर दत्ता न बेंच न बोलि कि भारत देसा जनसंख्या तैं देखिकि यख मतपत्रों से चुनौ करौंणु ठीक नीं च। उन्न यु बि बतै कि पुरण जमना म बि चुनौ म कै तरौं क गड़बड़ि हून्दि छायीं, जु ईवीएम औंण से खतम ह्वे।
जजों न सर्या बन्दबस्त पर शक करणा तैं गलत बतै। अर याचिकाकर्ता क सबि मांगु तैं खारिज कै दे। हां कोर्टन यु सुझाव बि द्यायी कि चुनौ आयोग तैं यीं बात पर विचार करण चैंद कि क्य वीवीपैड पर बार कोड छप्पै जै सकदु। यांका दगड़ि कोर्टन निर्देश बि दींन कि सिंबल लोडिंग यूनिट तैं परिणाम घोषित हूंणा बाद बि 45 दिन तक सील लगै की धर्यें ज्यां। अर 7 दिना भितर दूसर अर तिसर नम्बर उमेदवार जांच मांग कै सकदू। इन्न मा इंजीनियरु क एक टीम कैबि 5 माइक्रो कंट्रोलर मेमोर जांच करला। यीं जांच म जतगा बि खरचा होलु वु उमेदवार तैं उठौंण प्वाड़लु। अर गड़बड़ि साबित ह्वे त उमेदवार तैं पैसा वापिस मिलि जालु।
सुप्रीम कोर्टन अपणा फैसला मा बोलि कि ईवीएम पर जु शक करै ग्ये छायीं, वैथैं कोर्टन संूणि। अब यु सब खतम हूंण चैंद। कोर्टन बोलि की जब जब कि ईवीएम क खिलाप क्वीं पक्का सबूत नीं होला, तब तक यु बन्दबस्त बंणु रैंण चैंद। मतदान पतर पर वापिस औंणु या क्वीं हौरि बन्दबस्त करणु , क्वीं कारण नी च अर ना हि इन्नु करणु देसा लोगु खूणि सै होलु।