कैबिनेट मंत्री की बैठक में नहीं पहुंचे सचिव, मंत्री ने बैठक लेने से किया इंकार

दून। उत्तराखण्ड में प्रचंड बहुमत वाली सरकार पर नौकरशाही किस कदर हावी है इसकी बानगी एक बार फिर आज सचिवालय में देखने को मिली।

किच्छा विधायक राजेश शुक्ला के विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने के बाद आज बुधवार को सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री कहे जाने वाले शहरी विकास मंत्री व शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक की और से बुलाई गई समीक्षा बैठक में सचिव स्तर के अधिकारी नहीं आए। अधिकारियों की इस मनमानी पर कैबिनेट मंत्री बुरी तरह से झल्ला गये और बैठक लेने से इंकार कर वहां से चले गये।

अभी हाल ही में किच्छा विधायक राजेश शुक्ला के साथ डीएम ने अभद्रता कर दी थी जिस पर डीएम के विरूद्ध विधायक ने विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया था तो आज कैबिनेट मंत्री ही अधिकारियों की मनमानी का शिकार हो गये।

सचिवालय में आज कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर बैठक बुलाई गयी थी। जिसमें सभी संबंधित विभागों के सचिवों को आवश्यक रूप से उपस्थित होने के लिए एक हफ्ते पहले ही निर्देशित किया गया था।
आज जब शहरी विकास मंत्री सचिवालय में बैठक लेने के लिए पहुंचे तो वहां का नजारा देख कर दंग रह गये। बैठक में शहरी विकास सचिव तो मौजूद थे लेकिन पेयजल, बिजली, सड़क और परिवहन सचिवों ने बैठक में स्वयं आने की बजाय इंजीनियरों और कनिष्ठ सचिवों को ही भेज दिया था।

यह देख कर शहरी विकास मंत्री का पारा चढ़ गया। वे शहरी विकास सचिव पर ही बिफर पड़े कि जब इस बैठक के लिए सूचना एक हफ्ते पहले ही दे दी गयी थी तो आज सचिव बैठक में उपस्थित क्यों नहीं हुए। अधिकारियों को इतनी भी चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बैठक में सचिवों की अनुपस्थिति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कहा कि सचिव बैठक में नहीं आएंगे तो वे बैठक नहीं लेंगे। हालांकि शहरी विकास सचिव ने उनको शांत कराने का प्रयास किया लेकिन मंत्री नहीं माने और नाराज हो कर बैठक से उठ कर चले गये।

बता दें कि कुछ समय पहले ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अफसरों को सख्त हिदायत दी थी कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान करें। अब अगर अफसर सीएम, विधायकों, कैबिनेट मंत्रियों की बात ही नहीं सुनतेे तो ऐसे मेें समझा जा सकता है आम आदमी की समस्याओं की आखिर क्या सुनवायी होती होगीं?

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