सरकार की जीरो टॉलरेंस पर एक और प्रश्नचिन्ह
सरकारी एवं निजी उच्च तकनिकी एवं व्यावसायिक संस्थानों ( निजी कॉलेजों ) की फीस कमिटी बनते ही विवादों में आ गयी है
गौर तलब है कांग्रेस शाशन काल में बिना किसी आवेदन या जांच पड़ताल किये अंतिम समय में विवादित चार्टेड अकाउंटेंट सुदर्शन शर्मा को तत्कालीन मुख्यसचिव राकेश शर्मा ने अपने अपने उलटे सीधे कार्यो को सार्थक करवाने के लिए नामांकित कर दिया था उसके बाद इस चार्टेड अकाउंटेंट का सचिवालय के आईएएस अफसर के नाम पर रिश्वत मांग कर काम करवाने का ऑडियो जारी हुआ था जो राष्ट्रिय समाचार पत्रों की सुर्खिया भी बना था जिसके कारण काफी समय तक फीस निर्धारण कमिटी की कोई बैठक नहीं हुई थी और आईएएस अफसर उत्तराखंड से प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे बाद में उक्त चार्टेड अकाउंटेंट की सेंकडो एकड़ भूमि मसूरी के बार्लोगंज में गांव वालो को परेशान कर खरीदना व् जजों से जान पहचान व् काम करवाने की बात सार्वजनिक होने की धमकी भी कई लोगो को दिए जाने के किस्से सार्वजनिक हुए थे यहाँ तक की विजिलेंस विभाग भी इस पर चौकन्ना हो गया था
अब दूबारा से इसी विवादित चार्टेड अकाउंटेंट सुदर्शन शर्मा को फीस निर्धारण कमिटी में रखा जाना सरकार की जीरो टॉलरेंस पर एक और प्रश्नचिन्ह लगा रहा है और यह भी सन्देश दे रहा है की शायद उत्तराखंड में अविवादित चार्टेड अकाउंटेंट ही नहीं जो एक ही को बार बार कमिटी में रखा जा रहा है