संस्कृत की मदद भविष्य में बोलने और चलने वाले कंप्यूटर बनेंगे : निशंक

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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि दुनिया की प्राचीन भाषा संस्कृत की वजह से ही भविष्य में बोलने और चलने वाले कंप्यूटर बनाए जा सकते हैं। मुंबई के एक कार्यक्रम में निशंक ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के हवाले से यह दावा किया। उनके मुताबिक, नासा और कई कंपनियां अगली पीढ़ी के कंप्यूटर तैयार करने के लिए संस्कृत की मदद ले रही हैं।

आईआईटी बॉम्बे के 57वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए निशंक ने कहा, ’’नासा का कहना है कि संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है। इसे जैसा बोलते हैं, वैसा ही लिखा जाता है।’’ इस दौरान उन्होंने ऋषि चरक को आयुर्वेद का जनक और ऋषि सुश्रुत को दुनिया का पहला शल्यक्रिया विशेषज्ञ (सर्जन) बताया।

पोखरियाल ने कहा, ’’हमने ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में हमेशा दुनिया का नेतृत्व किया है। हमारे वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने दुनिया को शून्य दिया। क्या हम भूल जाएंगे भास्कराचार्य जी ने दश्मलव का मायने पूरी दुनिया को समझाया। गणित की बुनियाद रखने वाले को दुनिया कैसे भूल सकती है? क्या हम सुश्रुत को भूल जाएंगे, जिन्होंने शल्य चिकित्सा की खोज की।’’

“क्या चरक ऋषि को हम भूल जाएंगे जिन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की खोज की. आज बिना आयुर्वेद के चिकित्सा अधूरी है। चरक ऋषि ने अणु और परमाणु की खोज की। चरक ऋषि ने ही अणु-परमाणु के विचार को आगे बढ़ाया।

निशंक आईआईटी बॉम्बे में मुख्य अतिथि के तौर पर आए थे. पोखरियाल ने अव्वल आए छात्रों को मेडल दिया और समारोह को संबोधित किया। इसी संबोधन में पोखरियाल ने कहा, ’’जब दुनिया में कुछ भी नहीं था तब हमारे पास तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय थे।

पोखरियाल ने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कृति का जुड़ना बहुत ही ज़रूरी है। उन्होंने कहा, ’’बिना संस्कृति के शिक्षा अपने उद्देश्य तक नहीं पहुंच पाती। पूरी दुनिया ने हमसे सीखा है।’’

“जब दुनिया में कुछ भी नहीं था तो हमारा गौरव पराकाष्ठा पर था। तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय थे। पूरी दुनिया के लोग हमारे यहां ज्ञान के लिए आते थे। आज उसी विश्व गुरु को जानने-पहचानने, मानने और बढ़ाने की ज़रूरत है।’’

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