40 की उम्र में किए अपराध की सजा बुढ़ापे में मिली

देहरादून। टिहरी बांध निर्माण मुआवजा घोटाले के आरोपियों को सजा सुनाने में 36 वर्ष का लंबा समय लगा। आरोपियों के खिलाफ 10 अप्रैल 1991 को मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद सीबीआई ने जून 1991 में सीबीआई ने कार्रवाई शुरू की। सीबीआई को आरोपी अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने में छह वर्ष का लंबा समय लगा। आरोपियों के खिलाफ 16 जून 1997 को अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई। मंगलवार को अदालत ने फैसला सुनाया।
इस मामले में दोषी ठहराए गए दोनों अधिकारियों की उम्र अब 75 पार पहुंच गई है। जब उन्होंने यह घोटाला किया था, तब उनकी उम्र 40 के नीचे थी। जाहिर है अपने करियर, उम्र के बेहतरीन दिनों में किए गए अपराध की सजा अब बुढ़ापे में मिली है। दोनों मंगलवार को दोपहर 12 बजे परिजनों के साथ कोर्ट में पहुंचे, जबकि शाम छह बजे तक कार्रवाई पूरी होने तक कोर्ट में ही रहे। इस दौरान उनके चेहरे पर मायूसी झलक रही थी। अदालत में एक दोषी तो छड़ी के सहारे पहुंचा था। इस मामले में दो आरोपियों की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है। सीबीआई की विशेष अदालत में अभियोजन की ओर से कुल 32 गवाह पेश किए गए।

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