‘रोग से निरोग’ रहने की राह है योग
दून के वन अनुसंधान संस्थान परिसर में 50 हजार से अधिक लोगों लोगों के साथ योगासन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पुरातन भारतीय योग परंपरा इस संघर्षरत दुनिया को एकजुट करने वाली सबसे बड़ी शक्ति के रूप में उभरी है। एफआरआई संस्थान की इमारत की पृष्ठभूमि में हजारों लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि योग ने दुनिया को ‘‘रोग से निरोग’’ की राह दिखाई है और दुनिया भर में लोगों के जीवन को समृद्ध बना रहा है।
उन्होंने कहा, वास्तविकता यह है कि सेहत और तंदुरुस्ती की खोज में योग दिवस दुनिया के सबसे बड़े जन आंदोलन का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि लोगों का स्वस्थ होना शांतिपूर्ण विश्व की स्थापना के लिए अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में योग दिवस का प्रस्ताव रिकॉर्ड समय में स्वीकार किया गया और अधिकतर देशों ने इसका समर्थन किया। मोदी ने कहा, आज पूरी दुनिया के लोग योग को ऐसे रूप में देखते हैं कि वह उनका अपना है।
प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा, अगर आप चाहते हैं कि दुनिया आपकी विरासतों और धरोहरों का सम्मान करे, तो पहले आपको उनका सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम खुद अपनी विरासतों और धरोहरों पर गर्व नहीं करेंगे तो और कोई नहीं करेगा। हमें अपनी मूल्यवान धरोहरों का सम्मान करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि योग शांत, सृजनात्मक और संतुष्ट जीवन जीने का तरीका है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘योग बतौर व्यक्ति और समाज में आने वाली हमारी समस्याओं का उत्तम समाधान देता है।’’ उन्होंने कहा, योग तोड़ता नहीं जोड़ता है, द्वेष की जगह समावेश सिखाता है। कष्टों को बढ़ाने के स्थान पर योग उनसे मुक्ति दिलाता है। मोदी ने कहा कि योग दुनिया के लिए आशा की किरण है। उन्होंने कहा, ‘‘योग सुन्दर है क्योंकि वह पुरातन होते हुए भी आधुनिक है, उसमें ठहराव है फिर भी वह लगातार विकसित हो रहा है।’ उन्होंने कहा कि योग भारत की समृद्ध विरासत का हिस्सा है। हमें इस पर गर्व करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा कि वह ना सिर्फ स्वस्थ बल्कि प्रसन्न और शांतिपूर्ण जीवन के लिए भी योग को अपनाएं। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री बुधवार रात को यहां पहुंचे थे।
सुबह साढ़े छह बजे वन अनुसंधान संस्थान के परिसर में लोगों को संबोधित करने के बाद मोदी ने उनके साथ योगाभ्यास किया।