राजनीतिक हैसियत का असर . . .

UK dinmaan

देश में आज एक ही नाम हर जुबा पर चर्चा का विषय है। हो भी क्यूं न कल तक अन्जान नाम आज एक दम सुर्खियों में है। वेबसाइट ‘द वायर’ के दावे में भाजपा पार्टी की चूल्ले हिला के रख दी। जिन्हें ठीक करने के लिए देश के रेल मंत्री व रक्षा मंत्रियों को सफाई देनी पड़ रही है। जैसे-कि यह काम उन्होंने ही किया हो। आखिर क्यों केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और रक्षा मंत्रियों को जय शाह को बचाने के लिए इस मामले में ऐसे कूदते हुये यह कहना पड़ा कि ये झूठ और पूरी तरह से आधारहीन और दुर्भावनपूर्ण भाव से किए गए अपमानजनक आरोप हैं। हम इन आरोपों का पूरी तरह से खंडन करते हैं, नकारते हैं। बड़ा प्रश्न है कि आखिर जय शाह भाजपा के है कौन? आखिर क्यों दो -दो केन्द्रीय मंत्रियों एक बिजनेस मैन के लिए सफाई देनी पड़ रही है। बस यही वह कारण है कि वेबसाइट द वायर का दावा सच साबित होता दिखता है कि अमित शाह के भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही उनके बेटे जय अमित शाह की कंपनी टेम्पल इन्टरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड का टर्नओवर 16 हजार गुना बढ़ गया है। यह बढ़ोत्तरी तब हुई जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी और उनके पिता अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। इससे पहले टेम्पल इन्टरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड का टर्नओवर न के बराबर था। ‘द वायर’ के मुताबिक जय की कंपनी के टर्नओवर में उछाल की वजह 15.78 करोड़ रुपये का अनसेक्योर्ड लोन है जिसे राजेश खंडवाल की KIFS फिनांशियल सर्विसेज फर्म ने उपलब्ध कराया है लेकिन हैरत की बात ये है कि लोन देनेवाली KIFS फिनांशियल सर्विसेज ने जिस साल जय की कंपनी को लोन दिया उस साल उसकी कुल आय ही 7 करोड़ रुपये थी। वहीं जय शाह कह रहे है कि मेरा व्यवसाय पूरी तरह से कानून का पालन करता है और मैंने कापरेटिव बैंक से लोन नियम कानून के हिसाब लिया। अब यदि यह मान लिया जाय कि जय शाह सच कह रहे है। तो इसे नाकारा नहीं जा सकता कि जय शाह के व्यवसाय को सफलता उनके पिता अमित शाह की राजनीतिक हैसियत से ही मिली है।

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