मतभेदों को भुला कर राष्ट्रहित तथा जनसेवा के उद्देश्य को पूरा करें जनप्रतिनिधि: कोविंद

नयी दिल्ली (वार्ता)। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान दिवस के मौके पर सभी जनप्रतिनिधियों से मतभेदों को पीछे छोड़ते हुए राष्ट्रहित तथा जनसेवा के वास्तविक उद्देश्य के प्रति कार्य करने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने संविधान की 72 वीं वर्षगांठ के मौके पर संसद के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ग्राम-सभा, विधान-सभा और संसद के निर्वाचित प्रतिनिधियों की केवल एक ही प्राथमिकता होनी चाहिए। वह प्राथमिकता है – अपने क्षेत्र के सभी लोगों के कल्याण के लिए और राष्ट्र-हित में कार्य करना।
उन्होंने कहा , “ विचारधारा में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कोई भी मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि वह जन सेवा के वास्तविक उद्देश्य में बाधा बने। सत्ता-पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों में प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है , लेकिन यह प्रतिस्पर्धा बेहतर प्रतिनिधि बनने और जन-कल्याण के लिए बेहतर काम करने की होनी चाहिए। तभी इसे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा माना जाएगा। संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता नहीं समझा जाना चाहिए।”
इस मौके पर उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, केन्द्रीय मंत्री , सांसद तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
राष्ट्रपति ने संसद को लोकतंत्र का मंदिर करार देते हुए कहा कि हर सांसद की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह लोकतंत्र के इस मंदिर में श्रद्धा की उसी भावना के साथ आचरण करें जिसके साथ वे अपने पूजा-गृहों और इबादत-गाहों में करते हैं। उन्होंने कहा , “ प्रतिपक्ष वास्तव में, लोकतंत्र का सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है। सच तो यह है कि प्रभावी प्रतिपक्ष के बिना लोकतंत्र निष्प्रभावी हो जाता है। सरकार और प्रतिपक्ष, अपने मतभेदों के बावजूद, नागरिकों के सर्वाेत्तम हितों के लिए मिलकर काम करते रहें, यही अपेक्षा की जाती है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *