पवार के पॉवर के आगे नहीं चली भाजपा की होशियारी व चाणक्य की चालाकी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के चाणक्य अमित शाह के आगे देश के बड़े से बड़े नेता अपना सियासी वजूद नहीं बचा सके। वहीं महाराष्ट्र में सियासत के बूढ़े शेर 78 वर्षीय शरद पवार ने में इन दोनों नेताओं का सियासी गणित फेल ही नहीं किया बल्कि आपस में धुर विरोधी रही राजनैतिक पार्टी कांग्रेस व शिव सेना को भाजपा के खिलाफ एक साथ खड़ा कर दिया।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जब एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर कार्रवाई के लिए कदम उठाया तो महाराष्ट्र का यह बूढ़ा शेर जाग उठा। 78 वर्षीय शरद पवार ने दिल्ली बनाम महाराष्ट्र की सियासी लकीर खींच दी। हालांकि बीजेपी-शिवसेना को स्पष्ट बहुमत मिला था, लेकिन दोनों के बीच कुर्सी की लड़ाई में शरद पवार ने अपने सियासी हुनर का इस्तेमाल किया। उन्होंने खामोशी से शिवसेना के कंधे पर हाथ रखा। इससे शिवसेना के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उसने बीजेपी से दशकों पुरानी दोस्ती तोड़ ली।
शिवसेना ने महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी के साथ आने के लिए अपना हाथ बढ़ाया, लेकिन शरद पवार अपने पत्ते आखिरी वक्त तक नहीं खोल रहे थे। इसका नतीजा यह हुआ कि गवर्नर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की बीच सियासी खिचड़ी पकती रही। कांग्रेस की ओर से भी शिवसेना के साथ बात शरद पवार ही करते रहे थे। तीनों पार्टियों के बीच कई दौर की बैठक के बाद शुक्रवार (22 नवंबर) को सरकार बनाने का फॉर्मूला तय हुआ।
कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना सरकार बनाने का दावा राज्यपाल को पेश करती, उससे पहले ही भाजपा के चाणक्य व होशियारी ने रात के अन्धेरे में खेल खेला और शनिवार सुबह होते होते शरद पवार के भतीजे अजित पवार को अपने साथ मिलाकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया। महाराष्ट्र में रातोरात राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला कर दिया। शनिवार की सुबह मुंबई के लोग सोकर सही से उठ भी नहीं पाए थे कि देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की और अजित पवार ने डिप्टी सीएम की शपथ थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी के तामाम दिग्गज नेताओं ने देवेंद्र फडणवीस सरकार को बधाई दी।
अजित पवार के बीजेपी खेमे में जाने के बाद शनिवार को कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना बैकफुट पर नजर आ रही थी। ऐसे में शरद पवार ने मुंबई में रहकर कमान संभाली। हालांकि बीजेपी यह दावा करती रही कि हमारे पास 170 विधायकों का समर्थन है। इसके बावजूद शरद पवार ने पहले अजित पवार के साथ जाने वाले एनसीपी विधायकों को वापस लाने की कवायद शुरू की। साथ ही एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई भी शुरू कर दी।
सुप्रीम कोर्ट में रविवार को जहां सुनवाई शुरू हुई तो वहीं महाराष्ट्र में शरद पवार को सफलता मिलना शुरू हो गई। अजित पवार के साथ गए एनसीपी विधायकों ने एक-एक कर शरद पवार के खेमे में वापस आना शुरू कर दिया. शाम तक शरद पवार ने एनसीपी के 56 विधायकों में से 49 विधायक को एकजुट कर लिया था और अजित पवार की जगह जयंत पाटिल को विधायक दल का नया नेता बना दिया।
शरद पवार ने एनसीपी नेताओं को अजित पवार की घर वापसी कराने की मुहिम में लगा दिया। इस बीच छगन भुजबल से लेकर जयंत पाटिल ने अजित पवार से बातचीत का सिलसिला शुरू किया। इस तरह से शरद पवार ने बीजेपी के मनोबल को कमजोर करना शुरू किया। सोमवार को शरद पवार ने शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सहित कुल 162 विधायकों को मुंबई के हयात होटल में एकजुट कर शक्ति प्रदर्शन किया। इसके जरिए शरद पवार ने यह साबित करने की कोशिश की कि बहुमत का आंकड़ा बीजेपी के साथ नहीं बल्कि उनके साथ है।
शरद पवार ने अपने सियासी दांव से कई मुश्किलों को आसान कर दिया। भतीजे अजित पवार की एनसीपी में पकड़ को कमजोर करने के साथ शरद पवार ने शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार बनाने का श्रेय भी अपने नाम कर लिया है, अब पूरे सीन में वही नजर आ रहे है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे देकर अजित पवार ने अपना आधार भी खो दिया है। साथ ही अब बीजेपी दोबारा से महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दांव भी अब नहीं चल सकेगी। इस तरह से शरद पवार के पैंतरे से फेल भाजपा का रात के अंधेर में खेला गया सियासी खेल फेल हो गया।
महाराष्ट्र में बीजेपी-एनसीपी की सरकार बनने के बाद सबसे ज्यादा परेशान शरद पवार दिखे क्योंकि राजनीति पण्डितों द्वारा कयास लगाये जा रहे थे कि सरकार के गठन में पर्दे के पीछे कहीं उनकी कोई योजना तो नहीं ?
ऐसे में शरद पवार ने लगातार अजित पवार को मनाने की कोशिश जारी रखी। शरद पवार ने भी अजित से बात की और सुप्रीम कोर्ट के फैसले आने के बाद अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और इस तरह यह साफ हो गया कि महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार फ्लोर टेस्ट से पहले ही गिर गई है।
महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार ने अपनी पॉवर का अहसाह भाजपा को करा दिया कि महाराष्ट्र की पावर तो पवार के पास ही है।