पाडै़ पिड़ा . . .
पाड़ा क पिड़ा पाड जन्नि कटकुटु हूंद, वु कणाट नी करदु पर जोशीमट मा भ्वां धंसणि सडिक्यों, पाळि मा प्वड़णि तिड्वाळ बतौंणि छन कि पाड़ कणाणु च? धार्मिक, सांस्कृतिक अर अध्यात्मिक नगर जोशीमठ आज बेतरतीब अर बिना स्वच्यां विकासा के करण डर्यूं च। यख आज 678 घौरु मा तिड्वाळ छन ळोग अपड़ा घौर बार छोड़िक राहत कैम्प मा रैंणा खूंणि मजबूर छन। जोशीमठ के रैवासियों कु ब्वन च कि एनटीपीसी क हाइड्रो प्रोजेक्ट खूंणि बणणि सुंरगें न जोशीमठ भ्वां धंसणु च। जोशीमठ मा कबि भि, कखि बि, कै बि जगा मा नै तिड्कवाल प्वोड़ि जाणि छन। यीं तिड्वाळ छ्वटि नीं छन, तिड्वाळ डरांैण वळि छन। जै कारण सै जोशीमठक रैवासी डर्यां छन किलैकि यखक माटु लगातार भ्वां धसणु च। 100 जादा कुटुम्दरि न अपड़ा घौर खाळी कै याळी अर दुसर जगा मा चळिग्यीं। जोशीमठ के धंसणा क जु कारण छन वु छन वख जलणि जल विद्युत परियोजना अर औरि दुसरा निर्माण क काम, यु आरोप जोशीमठ के रैवासी अर पर्यावरणविद लगौंणा छन।
उन्न बि 1976 मा मिश्रा आयोग न रिपोर्टन पैळि हि खबरदार कै दे छायीं कि जोशीमठ क जड़ा मा क्वीं छेड़खानी नीं हूंण चैंद नथर वु खतरनाक ह्वाळु। किलेकि जोशीमठ ग्लेशियर बटि बोगि कि अयूं गाद पर बण्यूं सैर च। इन्न मा जोशीमठ क जड़ा मा कतै बि क्वीं छेड़खानी ना कर्यें ज्यां अर जु भि विकासा का ह्वाळा त वु बि एक सीमा तक हि कर्यें ज्यां। पर हमन विकासा क दौड़ मा आंखा बुझिक बड़ी बड़ी विद्युत परियोजनौं त भौतिक विकास क नौ फर आज एक पूरु पूरि सभ्यता एक पूरु सैर थैं पछ्याण थैं खतम कै याळी। पर आज बि हमथैं या बात समझा मा नीं आणि च कि पर्यावरण बि क्वीं चीज च। आज हमथैं वु समझण प्वाड़ळु कि पर्यावरण क दगड़ मा जादा छेड़ि कतगा खतरनाक च अर या बात आज जोशीमठ से जादा क्वीं नी समझि सकदु। आज हिमाळय क भवैष्य पर छ्वीं हूंण बैठिग्यीं।
आज जोशीमठ कणाणु च अर हमथैं खबरदार करणु च आखिरि कब तक विकासा नौ फर पाड़ क जिकुड़ि थैं डमाणा रैळा? आखिर कब समझमा आळी हमथैं पाडै़ पिड़ा।