अब दुसरु वनफूळपूरा नी बसण चैंद

हल्द्वानी वनभूळपुरा व गफूर बस्ती क मनखियों थैं सुप्रीम कोर्ट कु बौत बड़ु सहारु मिळिग्यें। हाईकोर्टक आदेश क बाद रेळ विभागा क जमीन मा कब्जा कैकि बैठ्यां मनखियौं थैं हट्यें जाणु छायीं। हाईकोर्टन बोलि कि वनभूळपुरा व गफूर बस्ती मा 28 एकड़ जमीन मा 4365 घौर रेळ विभागा क जमीन मा कब्जा कैकि बण्यां छन।

जिळा प्रशासनाक कानूनी लडै़ क बाद 20 दिसम्बर खूंणि हाईकोर्टन फैसळा यु फैसळा दे। जैका बाद प्रशासन अखबारु मा नोटिस जारी कैकि अर 9 जनवरी तक अपडु घौर खाळी करणा खूंणि बोळि दे।

जैक बाद उत्तराखण्ड हि ना बल्कि सर्या देस मा राजनीति सुरु ह्वैग्यें। वनभूळपुरा व गफूर बस्ती क ळोग सरकारक खिलाफ सड़िक्यों मा छायीं अर प्रदेस सरकार क तरफौं टक लग्यें कि दय्खणा छन, मदत मांगणा छन कि सरकार हम खूंणि कुछ कारली।

यांका बाद सब्यौं क टक सुप्रीम कोर्ट मा लग्यीं छायीं। सुप्रीम कोर्टन उथैं एक नै जिन्दगि दे अर बोलि कि साळु बटि बस्यां हजारों मनखियों क घौर तैं नीं त्वड़ें जै सकदन। ह्वै सकद उन्न रेलवे क जमीन का कब्जा कायी घौर बण्यां छन पर मनख्यात बि क्वीं चींज च, इतगा जल्दी उंक घौर नीं त्वड़े जै सकदन।

इन्न मा पैळि सवाल त रेळवे फर हि छन आखिर किलै रेळ विभाग इतगा साळ तक सियूँ (सोया) रै अर अपड़ि जमीन मा यु कब्जा हूंणि दे। व वखि सवाळ प्रदेस सरकार पर बि छन। क्या प्रदेस सरकारन बि रेळ विभागाक जमीन मा कब्जा कैकि पाणि, बिजळी सीवर लैन जनि सुविधा सरकरि जमीन मा कब्जा कैकि बण्यां घौरु मा तैं दीं? सरकारन वख स्कुळ, ट्यूबबेळ कैकि जमीन मा बणें, क्या यू रेळवे क जमीन मा कब्जा नीं च?

त दूसरि तरफा वखक ळोग, छ्वटा छ्वटा नौनियाळ अपड़ा हत्थु मा पोस्टर छायीं, जौ मा हम कख पढ़ळा, हमरा ब्वे-बुबा कख जाळा लेख्यूं च, लेकैकि जड्डु मा बैठ्यां छन। गफूर बस्ती मा रैंण वळा कु ब्वन च कि साळु बटि यख बस्यां छा, हमर ब्वे बुबा हि ना दद्दि दद्दा भि यखि रैन्दा छायीं।

इन्न मा इतगा साळु बाद अब 40 से 50 हजार मनखियों कु जिन्दगि कु सवाळ छायीं। यु ळोगुक समणि रवटि कु हि ना बल्कि जिन्दगि अर टणपट्ट हूंणा कु सवाळ बि खडु ह्वैग्यें। जौन अपड़ि सर्या जिन्दगि क कमै जोड़-जोड़िकि अपड़ा घौर बण्यें अर अब सरकार उंका घौर थैं सरकरि कब्जें जमीन मा बणयां बतै कि घौर न उंका सुपिनौं थैं बि त्वड़न कु काम करणि छायीं।

हां या बात सै च कि जमीन रेळ विभागा हि ना कैकि कैकि भि जमीन मा कब्जा नीं हूंणि चैंद। वनभूळपुरा व गफूर बस्ती क रैवासी सरकरि जमीन मा कब्जा कायी पर सवाल याैं भि च कि कब्जें जमीन मा पक्कु घौर कनकैकि बणि, कैळि वुथैं पक्का घौर बणौंणा क मंजूरी दे। सरकारन व वख इस्कुळ, पाणि, सड़क अर सीवर जनि सुविधा किळै दीं।

इन मा जतगा दोष वनभूळपुरा व गफूर बस्ती क रैवासी छन वै जादा हमरु सिस्टम दोषि च। सवाल यौं च कि क्वीं बि गलत काम सुरु मा हि किलै नीं र्वकें जान्दु? जब पाणि गौळा तक ऐ जान्द तबि सरकार अपड़ा आंखा ख्वलदन आखिर किलै? यखम जौन सरकरि जमीन का कब्जा कै कि पक्कु घौर बण्यें, वां से जादा गलत त रेळ विभागाक अर प्रदेस सरकार च। जौन वख कब्जा हूंणि दे अर पक्कु घौर बणौंणा क छुट दे अर सबि सुविधा उथैं दीं।

इन्ना अब सवाल त यौ च कि साळु बटि सरकारि जमीन मा कब्जा हूंण छायीं त सरकार क आंखा किलै बुज्यां छायीं। अर जौ फर अतिक्रमण रवक्णा क अर हणौंणा क जिम्मेबरि च उ फर अब क्या कारवै ह्वैळी अर क्या ह्वैळी बि?

एक वनभूळपुरा व गफूर बस्ती ही ना सर्या प्रदेस मा कतगा अवैध बस्ती छन जरा स्वाचा कन कैकि ई बस्ती हमरू प्रदेस मा मनखियों क जनसंख्या (डेमोग्राफी) तैं बदळि करणा छन। अब इ डौर च लगणि।

अब जू ह्वै ह्वैग्यें। सुप्रीम कोर्टन वनफूळपूरा क रैवासियों थैं अबि त नै जिन्दगि दे द्यायी।

अब प्रदेस सरकार अर रेलवे तैं चैंद कि उंकी मदत कर्यें ज्यां। ऐ जड्डु मा छ्वटा-छ्वटा नौनियाळ, ब्यटुळा अर बुड़यां कख जाळा अर कन्न कैकि अपडु दूसरु घौर बणौंळा। इन्न मा सरकार थैं चैंद कि पैळि वु तैं कखि औरि बसयें ज्यां, साळु बटि यीं यखि रैंणा छन। युंका घौर त्वड़नु उंका दगड़ निसाब कतै नीं।

सुप्रीम कोर्टक फैसळा क बाद त इन्न लगणु च या जमीन रेलवे क हत्थ बटि निकळि ग्यें। हां प्रदेस सरकार थैं अब यु बि स्वचण प्वाड़ळु कि प्रदेस मा अब प्रदेस मा दुसरु वनभूळपुरा व गफूर बस्ती जनि बस्ती दुबरा कतै नी बसण चैंद।

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