नशा कु माया जाळ

हुई मंहगी शराब के थोड़ी-थोड़ी पिया करो बल उत्तराखण्ड खूंणि या बात बेमानी ह्वैग्यें बल, किलैकि उत्तराखण्ड त ब्वनु च कि सस्ती ह्वैग्यें शराब खुब पिया करो। प्रदेस मा सस्ती दारु अर बिजली पाणि मैंगु ह्वैग्यें। अर तर्रा यौ कि हमरा बगला प्रदेसु मा शराब सस्ती च अर ळोग वख बटि ल्यें कैकि शराब पिणा छन, जै से हमथैं राजस्व कु नुकसान हूंण च। सरकारै बात त सै च पर सवाल यौं बि च बल हमर प्रदेसा मा शराब सस्ती हूंण बाद बि दुसर प्रदसु मा उत्तराखण्ड से अबि बि शराब सस्ती च, इन्न मा दुसर प्रदेसा बटि आण हूंण वलि शराबैं तस्करी पर रोक कैनकैकि लगें जाली?

एक तरफौं सरकार क सौं लियीं च 2025 तक प्रदेस थैं अग्वानया (अग्रणी) अर नशा मुक्त प्रदेसा बण्यें जालु। त दुसर तरफा सरकारे नै शराब नीति अंग्रेजी शराबैं कीमत कम कैकि नशा थैं बढ़ावा देंणा कु रैबार देंणि च। यीं ना बल अब त सरकारै देसी शराब अब ट्रेटा पैक मा मिललि। यखम हमथैं या बात बि समझण प्वाड़ळि कि पैलि जब देसी दारु थैली मा मिलदि छायीं तब दरवल्यौं की रौंस हि रौंस हूंदि छायीं, वु इन्नै-उन्नै दय्खदा छायीं अर थैली चुसणा रैंदा छायीं, बल अब त ट्रेटा पैक मा देसी दारु मिललि त, दरवल्यौं थैं न कैकि डैर, न भळा, अब त वु त कबि बि, कखिम बि ट्रेटा पैक चुसणा राला।

त वखि सरकार कु वु फैसळा कि शराब मा तीन फीसदी सेस लग्यें कि जु पैसा जमा ह्वाळु , वै मा बटि 1 रुप्या गौ सरंक्षण मा, एक रुप्या महिला कल्याण अर ज्वानु फर त 1 रुप्या खेलकुद मा खरच कर्यें जालु।

यखम सरकारै इरादु त भलु च पर तरीका कतै ठीक नी च। सरकार शराब कमै थैं ब्यटुळों क भलैं खूंणि खरच काराली या बात त मसखरा लगणि च।

किलैकि अगर सरकार प्रदेसा व्यटुळौं क भलै क बारा मा स्वचदि त सबसे पैळि शराब बन्दी कु काम करदि किलैकि उत्तराखण्डै ब्यटुला त सदिन दारू बन्द करणा क पक्ष मा रैयीं। प्रदेसा मा शराब बन्द ह्वैली त प्रदेसा सबि ब्यटुळों कु भलै त अप्फि ह्वै जाली। इन्न मा दारु क कमै थैं ब्यटूळों क भलै खूंणि खरच करणु क्या ब्यटुळों की भावनौं कु अनादर नी च?

वखि गौ माता कु सरंक्षण अर ज्वानु थैं खेल मा अगनै बढौंणा खूंणि क्या हमन शराबा कमै ही च? इन्न मा हमथैं यु बि स्वचण प्वाड़ळु हि हम ज्वानु तैं क्या रैबार देंणा छा। इन्न मा त हम मनखियों तैं शराब पेंणा खूंणि हतोत्साहित न बल उथैं प्रोस्साहित करणा छा।

सरकार कु शराब कारोबार से 3600 करोड़ रुप्यों क लक्ष्य तैं बढ़कि 4000 करोड़ कु लक्ष्य धर्यूं च। साफ च सरकार देवभूमि मा शराबै कारोबार कैकि अपड़ि कमै बढ़ौंणा चान्द। ऐ हि इरादन सरकान शराब सस्ती कायी, किलैकि शराब जतगा जादा सस्ती ह्वैळी उतगा जादा बिकली अर सरकारै कमै उतगा हि बढ़लि।

पैलि शराब का खिलाप नारा लग्यें जांदा छायी कि बल ‘नशा नहीं रोजगार दो’। अब सरकार नारा देंणि सस्ती शराब लो। आज घौर-घौर मा क्वीं मवासु इन्न नीं जैकु एक न एक मनखि शराब नी पेंणु हो।

इन्न मा आज प्रदेसा सस्ती दारू न बल एक औरि टिंचरी माई जरूरत च, आज प्रदेसा थैं नशा का खिलाप एक आन्दोलन क जरूरत च। जै से हम ओंण वाली पीढ़ि तैं नशा की लत से बचै सक्यां अर एक खुशहाल, स्वस्थ नशा मुक्त उत्तराखण्ड कु निर्माण कै सकौं पर अबि त इन्न कखि दूर-दूर तक कखि नी दिख्येणु च किलैकि बल अबि त देवभूमि हि ना बल अबि त सरकार बि नशा क माया जाळ मा फंसी दिख्येणी च। इन्न मा प्रदेसा थैं 2025 तक नशा मुक्ति बणौंण की सरकार सौं कनकैकि पूरि ह्वैली, यु झुरण वलु बात च ?

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