नौन्याळु तैं जरुर सीखयां अपणि दूदबोलि भाषा: महानिदेशक विद्यालय शिक्षा
देरादूण। आजै जमनु सांस्कृतिक संक्रमण कु जमनु च। इन म मास्टरु अर ब्वे-बुबा क या जिम्मेबरि च कि हम अपणि विरासत तैं अगनै बढ़ैकि नै पीढ़ी तक पौंछ्णा कु काम कर्यां या बात महानिदेशक विद्यालय शिक्षा अर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड न पुस्तक लेखन कार्यशाला म बोलि।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड तरफि बटि पांच दिनाकि एक पुस्तक लेखन कार्यशाला उर्यें जाणि च।
प्रदेसा नौन्यालु तैं अपणि गौरवशाली विरासत अर प्रदेसा महान विभूतियों क बारा मा बतौंणा खूंण उर्यूं पुस्तक लेखन कार्यशाला क आज दूसर दिन महानिदेशक विद्यालय शिक्षा न कार्यशाला लेखन कार्य क बरगत (प्रगति) क बारा म समीक्षा कायी।
ऐ मौका पर महानिदशक न बोलि कि हमरि विरासत भौतिक अर अभौतिक द्विया तरौ से च। उन्न बोलि कि अपणि सभ्यता, संस्कृति अर परंपराओं तैं अपणि आण वली पीढ़ी तैं जरुर बताण चैंद या हमरि हमरि जिम्मेबरि च। उन्न बोलि कि हम अपणि लोक संस्कृति तैं अपणै कि हि सुखी रै सकदो। उन्न लोकभाषा क बारा मा बोलि कि हमतैं अपड़ा बच्चौं तैं अपणि दूदबोलि भाषा जरुर सिखौंण चैंद।
वखि निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखंड बंदना गर्ब्याल न बोलि कि यीं किताबि म उत्तराखंड प्रदेसा तीर्थ, पर्यटन, लोक वाद्य, नृत्य, संगीत, कौथिग, त्योवार, गढ़, किला, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों, सैन्य तोक, सामाजिक अर पर्यावरणीय तोक, कारगिल शहीद, उत्तराखंड राज्य से जुड़ि घटनाऔं अर हमरि वेश भूषा क बार म बत्यें जालु।