मोहन भागवत ने कहा ‘विचार-पंथ कोई भी हो, भारत माता सबकी’

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नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केबी हेडगेवार की जन्मस्थली पहुंचे प्रणब मुखर्जी का स्वागत संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया।

पूर्व राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को ‘भारत माता का एक महान सपूत‘ बताया। मुखर्जी ने हेडगेवार के जन्मस्थल का दौरा किया और आगंतुकों के लिए मौजूद किताब में लिखा, ‘‘मैं आज यहां भारत माता के महान सपूत को मेरी श्रद्धांजलि और सम्मान पेश करने आया हूं”।

मोहन भागवत ने कहा कि संघ का काम केवल संघ का काम नहीं है। इसे देखने के लिए अनेक महापुरुष आते रहते हैं। उनसे पथ प्रदर्शन प्राप्त करते हैं। उस सत्य पथ पर चलें हम सब ऐसी हमारी आदत हो, हमारी बुिद्ध हो, ऐसा आचरण वाला संघ कार्यकर्ता तैयार करता है। आप इसे देखिए, परखिए और इसके सहभागी बन सकते हैं तो बनिए। हमें किसी का विरोध नहीं है।

संघ प्रमुख ने कहा, ‘आदर्श और सुविचार की कमी नहीं है परन्तु व्यवहार के मामले में हम निकृष्ट थे, अब उसमें सुधार हुआ है। 1925 से संघ चला। धीरे धीरे आगे बढ़ता गया। सब बाधाओं को पार करता हुआ आगे बढ़ा। राष्ट्र को परमवैभव प्राप्त हो ये संघ का लक्ष्य है। यहां अपेक्षा कुछ नहीं करते हैं। सारे नेकी का काम करते हैं बिना किसी उम्मीद के।

संघ प्रमुख ने कहा, ‘हमें दूसरों का आदर करना है और उनकी पसंद का भी तभी हम एक हो सकते हैं. हमारे मूल्य एकता पर आधारित हैं और दूसरों का महत्व पहचानने के स्वाभविक गुण की वजह से ही हम ऐसे बने हैं।’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ संपूर्ण समाज को संगठित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि हमारी पहचान हजारों वर्षों से विविधता में एकता की रही है। संघ प्रमुख ने कहा कि इस देश को खड़ा करने में अनेक महापुरुषों ने त्याग किया है. उन्होंने कहा कि ये केवल नागरिकता की बात नहीं है। यहां पर जन्म लेने वाला प्रत्येक नागरिक भारत पुत्र है। यही सबकी पहचान है।

प्रणब मुखर्जी विशेष अतिथि के रुप में निमंत्रित किया गया था।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, डॉ. प्रणब मुखर्जी संघ के कार्यक्रम में क्यों आए, इस पर चर्चा व्यर्थ है। संघ संघ है और डॉ. प्रणब मुखर्जी डॉ. प्रणब मुखर्जी हैं। ‘डॉ. प्रणब मुखर्जी को हमने सहज रूप से आमंत्रण दिया और उन्होंने हमारा स्नेह पहचान कर सहमति दी। उनको कैसे बुलाया ओर वो कैसे जा रहे हैं, ये चर्चा निरर्थक है।

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