माता अनुसूया, तैं ब्वलें जान्द सतीत्व देवी

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गोपेश्वर बिटि 15 किलोमीटर दूर मंडल घाटी म पौंछणा बाद 6 किमी. पैदल खड़ी उकाल पार कैकि माता सती कु मंदिरम पौंछे जै सकदु।

माता सती अनुसूया की मान्यता च कि या शिला अप्फि बणि च अर मंदिर नागर शैली मा बण्यूं च। मंदिरा गर्भगृहम माता अनुसूइया क भव्य मूर्ति च। मूर्ति पर चांदी कु छतर च। मंदिरा भैर भगवान शिव, माता पार्वती अर गणेश जी क मूर्ति छन। यांका दगड़ि सती अनुसूइया क नौनु दत्तात्रेय क त्रिमुखी मूर्ति बि च।

बतै जांद कि जब देवर्षि नारद न ब्रह्मलोक म तीन देव राणियों पार्वती, लक्ष्मी अर सरस्वती क समणि माता सतीक् तरिफ कायी त तिन्या देवियों न हंकार म ब्रह्मा, बिष्णु अर महेश तैं माता सती क इमत्यान लिंणा खूणि बोलि। तीन द्यब्ता ब्रह्मा, बिष्णु अर महेश जन्नि भेस बदलि की माता क समणि पौंछिन अर उन्न भूख लगणा बात बोलि, अर बोलि कि हमतैं अपडु दूद पिलावा।

माता घंकतोळ मा पोडिग्ये, तबि माता न अत्रि मुनि तैं याद कायी त समणि ऊंतैं साधु वेष म ब्रह्मा,विष्णु , महेश खड़ा दिखे दींन। वैका बाद माता कमंडल बिटि जल निकालिकि तिन्यौ मत्थि छिड़कि अर तिन्यौं तैं छै मैना कु छ्वटा बच्चा बणै दे। माता न छै मैना तक तिन्यौं अपणु दूद पिलै। तिन्या राणियों तैं तब अपणि गलती कु अहसास ह्वे त उन्न माता से माफी मांगी अर अपणा जवैं तैं लौटाणा खूणि बोलि।

सती माता यख एक हौरि मान्यता च कि दत्तत्रैय जयन्ती पर जु बि औता (जौकि क्वीं औलाद नि च) मनखि, वु रात्रि खड़ा दीया पूजन कैकि माता से औलाद अरज करदन। अर माता ऊंकी मनोकामना पूरि करदि। ऐ मौका पर वख कौथिग बि लगदू।

माता सती अनुसूइया मंदिर तक पौंछणा खूणि गोपेश्वर मण्डल बिटि माता मंदिर जाणा खूणि तक खड़ी उकाल च।

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