मकर संक्रांति

मकर संक्रांति भारत के खास त्योहारों में से एक है। यह पर्व हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है। परंपराओं में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद बांटा जाता है। यह त्योहार प्रकृति ऋतु परिवर्तन और खेती से जुड़ा है। इन्हीं तीन चीजों को जीवन का आधार भी माना जाता है। प्रकृति के कारक के तौर पर इस दिन सूर्य की पूजा होती है। सूर्य की स्थिति के अनुसार ऋतुओं में बदलाव होता है और धरती अनाज पैदा करती है। अनाज से जीव समुदाय का भरण-पोषण होता है।
कब मनाते हैं मकर संक्रांति

लगभग 80 साल पहले संक्रांति 12 या 13 जनवरी को पड़ती थी, जैसा कि उन दिनों के पंचांग बताते हैं। लेकिन अब अयनचलन के कारण 13 या 14 जनवरी को पड़ती है। 2017 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई गई। इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं और खरमास समाप्त हो जाते हैं। खरमास के समाप्त होते ही शादी जैसे शुभ काम शुरू हो जाते हैं। खरमास में कोई मांगलिक काम करने की मनाही है।
14 को संक्रांति, 15 को पुण्यकाल

इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2018 को मनेगा। पर इसका पुण्यकाल 15 जनवरी 2018 को रहेगा। मकर संक्रांति का विशेष पुण्यकाल 14 जनवरी 2018 को रात 8 बजकर 8 मिनट से 15 जनवरी 2018 को दिन के 12 बजे तक रहेगा। साल 2018, विक्रम संवत् 2074 में संक्रांति का वाहन महिष और उपवाहन ऊंट रहेगा। इस साल संक्रांति काले वस्त्र व मृगचर्म की कंचुकी धारण किए, नीले आक के फूलों की माला पहने, नीलमणि के आभूषण धारण किए, हाथ में तोमर आयुध लिए, दही का भक्षण करती हुई दक्षिण दिशा की ओर जाती हुई रहेगी।

मकर संक्रांति का महत्
शास्त्रों की मानें तो दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कार्यों का खास महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर फिर मिल जाता है। इस दिन शुद्ध घी और कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है, ऐसी मान्यता है।

रातें छोटी, दिन बड़ा
मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। इसलिए इस दिन से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक होगी और रात छोटी होने से अंधकार कम होगा। इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है।

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