महेन्द्र, सोना जमणु च छन बांजा पुंगड़ा मा
त्रिवेन्द्र सरकारक योजना अर ज्वान नौंना क हिकमतळ अब उज्याण ह्वयींं पुंग्डियों मा पैदावार दिख्येंणी च। जु पुंगड़ा बांजा प्वड़या छायी, जौं मा झाड़-झंक्कार ह्वैग्या छायी, ऊं पुगड़ों मा अब साग-भुज्जी अर अनजै पैदावार हूंणी च।
अपड़ि बहहाळी खूंणि ळगातार सरकार थैं अर अपड़ि किस्मत थैं दोष दिंणा बळा मनखि ये चमतकार थैं देखिक अब हैरान-परेशान छन। सरकारी योजना अर ऊंकी मेहनत अब समणि च।
हम बात करणा छन चमोळी मा रैंण वळा सरतोळी गौं का महेन्द्र सिंह क बारा मा। जू आज सर्या चमोळी मा ज्वान नौंना खूंणि एक मिसाळ बण्यां छन। पलायन का कारण उज्ड़दा गौं देखिकि महेन्द्र न भि पैढ़-ळिखणा क बाद गौं बटि पलायन कैरि द्यायी। अर एक कम्पनी मा नौकरी करण बैठिग्यीं। लेकिन ऊंकु जिकुड़ि त अपड़ा गौं मा कुछ करणा खूणि अकबक करणि छायी। उन्न बतैं कि पहाड़ मा जू भि मनखि खेती करणा छन ऊ ळोग नैं तकनीक से खेती नि करदा। ऐ बगद मा नैं तकनीक से खेती-बाड़ी करणा क जरूरत च। उन ब्वाळ कि मिंन एकदा जिला सरकारी खौळ (मेला) मा भाग लय्या, वख पंडित दीन दयाळ जिला सरकारी बैंक स्कीम का बारा मा पता चळि। त ऊंकी किस्मत ही बदळी ग्यायी। उन्न हिकमत कैकि सरकारी बैंक बटि ळोन ल्यायी अर साग भुज्जी की खेती शुरू कैरि द्यायी। उन्न बतै कि काम खूणि ळोन दिळाणमा जिला सराकरी बैंक का अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह न उंकी पूरी मदत कायी।
आज महेन्द्र साग भुज्जी की खेती कैरिक 60 से 70 हजार रूपया मैना कमौंणा छन। महेन्द्र न ब्वाळ कि गौं मा खेती त छैंऐंच, अर ळोग खेती भि करणा छन लेकिन ईन्न खेती मा मुसिकळ से साळ भर कू गुजरा करणा कु अनाज हि पैदा हूंद। उन्न ब्वाळ कि नौकरी छ्वड़ना क बाद मिंन गौं मा बांजा प्वड़णा पुंग्ड़ों मा टमाटर, गोभी, ब्रोकळी, प्याज, मटर क ळगैकि अच्छी कमै का साधन बैंण याळी।
महेन्द्र न साबित कैरि द्यायी कि अगर हिकमत अर सरकारी योजना कु ळाभ मिळ जावा त गौं मा हि खेती कैरिक बांजा पुग्ड़ा मा भि सोना जैमाऐं जै सकद।