लाॅकडाउन की ढील में जरा सी लापरवाही हो सकती है खतरनाक

खौफनाक कोरोना वायरस के कहर से आज पूरी दुनिया असहाय नजर आ रही हैै। आज लोग घरों में रहने को मजबूर है क्योंकि रंग बदलती इस भंयकर महामारी से बचने का एकमात्र उपाय फिलहाल तो घर में रहना ही उचित है।

देश में तेजी से पांव पसारते कोरोना को लेकर एक चाैंंकाने वाली बात आई.सी.एम.आर. के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कही। उनका कहा कि देश में कोरोना के 80 फीसदी मामलों में लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं। जिस कारण संक्रमितों की पहचान करना सबसे मुश्किल काम है और फिर सभी लोगों का टेस्ट करना असंभव है। उनका कहना है कि दरअसल कई लोगों की इम्यूनिटी मजबूत होती है और जब उन्हें वायरस का संक्रमण होता है तो उनके शरीर की इम्यूनिटी शरीर को प्रभावित नहीं होने देती और इंसान को सामान्य लगता है, लेकिन खतरनाक ये है कि इस दौरान ये लोग दूसरों को कोरोना से संक्रमित कर सकते हैं, जिसके कारण वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही जाती है।

वैसे यह बात एक शोध में पहले भी आमने आ चुकी है। हांगकांग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने शोध में पाया कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति लक्षण दिखने से पहले भी संक्रमण फैला सकता है।

कोरोना संक्रमित लक्षण दिखने के बाद तो इस बीमारी को फैलने से काफी हद तक रोका जा सकता है लेकिन यदि लक्षण की शुरूआत से पहले इन मरीजों से संक्रमण फैलने को कैसे रोका जाय यह चिंतनीय है।

दूसरी तरफ डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेसियस दुनिया आगाह किया कि इससे बुरा वक्त अभी आने वाला है। उन्होंने लाॅकडाउन में ढील को लेकर आगाह किया है उन्होंने कहा कि जो देश लाॅकडाउन में ढील दे रहे वो वो महामारी के लिए नए खतरे की घंटी बजा रहे है। लॉकडाउन पाबंदियों को हटाना महामारी का अंत नहीं है।

यहां बड़ी चिन्ताजनक बात यह है कि जब 80 फीसदी मामलों में लक्षण नहीं दिखाई नहीं दे रहे वहीं दूसरी तरफ केन्द्र व राज्य सरकारें लाॅकडाउन में ढील देने का फैसला ले चुकी है। ऐसे में सवाल यह है क्या यह ढील देने का सही वक्त है? क्या लाॅकडाउन के कारण कोरोना वायरस को रोकने में सफलता मिली और या फिर कितनी मिली? क्या और दो हफ्ते का इंतजार जरूरी नहीं था?

यह सही है कि प्रतिबंधों में ढील दी जानी चाहिए लेकिन तब तक नहीं जब तक वैक्सीन नहीं बन जाता क्योंकि जरा सी लापरवाही क्या विस्फोट कर दंे, ये उन देशों के हालत देखकर समझना चाहिए जिन्होंने इसे बहुत हल्के में लिया।

ये सही है कि लोग महीने से ज्यादा वक्त से लोग घर में बन्द है और परेशान होने लगे है लेकिन ये भी सही है कि फिलहाल मानव समाज को बचाने के लिए लाॅकडाउन बेहद जरूरी है। कोरोना वायरस को किसी भी हालत में नजरअंदाज करना उचित नहीं है। चीन ने क्या किया, क्या नहीं सोचने का यह वक्त नहीं है। अब हम क्या करें, क्या न करें पर काम करें, लापरवाही कतई नहीं। इसलिए आप लाॅकडाउन का नियमों का पालन करते हुए खुद को व अपनों को संक्रमित होने से बचायें।

वहीं सरकार भी विचार करें कि क्या यह लाॅकडाउन में ढील देने का सही समय है जब विशेषज्ञ आगाह कर रहे है कि 80 प्रतिशत लोगों में कोरोनो के लक्षण नहीं दिखाई दे रहें। ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि लाॅकडाउन की ढील में जरा सी लापरवाही खतरनाक हो जाय।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *