जोशीमठ, सिरफ खबरदार करणु च

उत्तराखण्डा जोशीमठ मा कूड़ौं मा प्वड़णि तिड़क्वाल क्वीं प्राकृतिक आपदा नीं च या खूंणि प्रकृति से जादा मनखि जिम्मेबार छन। प्रकृति क दगड़ मा हम आंखा बुझिक छेड़ि करळा त वा हमथैं सजा जरूर देळि अर जोशीमठा क रैवासी या सजा भुगतणा छन। जोशीमठ मा 4500 कूड़ौं छन जैमा बटि 610 मा तिड़क्वाल पौड़िग्यें, जु रैंण लैक नी छन। साळ 2006 एक रिपोर्ट मा यु व्वलें ग्यें छायीं कि जोशीमठ हर साळ एक सेंटीमीटर भ्वां मा धंसणु च। वै बगत मा यीं रिपोर्ट फर ध्यान दियें जान्दु अर पैळि हि पर्यावरण अर भूगर्भ क यु खतरौं तैं रव्कें जान्दु त यु नुकसान नीं हुन्दी।

जोशीमठ मा भ्वां धसणि जमीन क पिछनै बिना स्वच्छा बणणा कुड़ा अर निर्माण क काम छन। आज बिना स्वच्छा अर बेतरतीब हूंया निर्माण कामु क दिकदरि तैं जोशीमठ भुगतणु च। पर्यावरण अर भूगर्भ विशेषज्ञयों न पैळि हिमालय तोक मा बस्यां पाड़ा राज्यु मा भ्यूंचळ अर दूसरी प्राकृतिक आदपा क बारा मा कै बार खबरदार कै याळी। यांका बाद बि केन्द्र अर राज्य सरकारन क्वीं भि कटकुटु कदम नीं उठें। जैकि कीमत पाड़ क रैवासियों तैं भुगतण प्वड़णि च।

हिमालय पाड़ हर साळ बढ़णु च अर वै मा भूगर्भीय हलचल हूंणि छन। इन्न हालतु मा मनखियों क जिन्दगि पर बिपति त ह्वाळी ही। हिमालय मा डाळा बुटा हि छन जु माटु थैं बांधिक रखदन अर जु पाड़ थैं अपड़ि जगा मा रव्कणा कु एक उपाय च। जादा सुरंग अर ब्वगदा पाणि थैं रव्कणा क कारण पाड़ा अपड़ा प्राकृतिक स्वरूपौं मा नी रै पान्दु। जै कारण पाड़ गिरणा क डैर, भूस्खलन अर जादा बरखा क कारण पाड़ मा उथल-पुथल समणि आणि रैन्दन। ज्वां हम खूंणि प्राकृतिक दियीं सजा च। आज जोशीमठ मा भ्वां धसणि जमीन हमथैं खबरदार करणि च कि बतग फर हम अपडु फैदा खूंणि पाड़ क दगड़ मा जादा छेड़ि करणु बन्द नी करळा, त प्रकृति एक दिन अपड़ा इन्नु रूप हमथैं दिखाळि जै थैं क्वीं रोकि नी सकदौं, अर यां खूंणि बि हम सबि जिम्मेबार ह्वुळा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *