जौलीग्रांट एयरपोर्ट, संस्कृत मा लिखें जाळा मंतर : महाराज
देरादूण। जौलीग्रांट एयरपोर्ट मा खम्बौं पर लिख्यां बौद्ध धरमा क मंतर पर उठ्यां विवाद क बाद पर्यटन मंत्री सतपाल महारजन बोलि कि जौलीग्रांट क द्वार पर लग्यां खम्बौं पर लिख्यां बौद्ध धरमा क मंतरु तैं बदळें जाळु। महाराजन बोलि कि एक खम्बा तैं छोड़िक औरि फर संस्कृत मा मंतर लिख्यें जाळा।
बतै दियां कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरनानन्द न जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट मा लग्यां खम्बौं पर लिख्यां बौद्ध मंतरु पर सवाळ खड़ा कै छायीं। उन्न बोलि छै कि या देवभूमि च अर यख केदारनाथ अर बदरीनाथ जन्न धाम अर गंगा, यमुना जनि पवित्र नदी भि देबत्यौं क भूमि उत्तराखण्ड बटि हि निकळदन। उन्न बोलि कि उत्तराखण्डा कु चारधाम बोलि कि खूब प्रचार कर्यें जान्द। लाखों मनखि यख अंदीन जै से उत्तराखण्ड खूब पैंसौं क आमदनी हूंद। यांका बाद भि एयरपोर्ट क खम्बौं फर बौद्ध धरमा क मंतर लिख्यां छन।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द न बोलि कि खम्बौं पर क्या जय बदरी विशाल, जय केदार, जय गंगे, जय जमुना, जय उत्तराखण्ड, जय भगवान शंकराचार्य नी लिख्यें जै सकदु? सबि आठ खम्बौं मा बौद्ध धरमा क मंतर लिख्यां छन। शंकराचार्य न जनि अपड़ि टणाक (नाराजगी) जतै उन्नि पर्यटन मंत्री सतपाल चंक ह्वैग्यीं। महाराजन बोलि बौद्ध धरमा लिख्यां खम्बौं पर वैदिक मंतर लिखणा क बात बोलि।
पर्यटन मंत्री न बोलि कि उन्न जौलीग्रांन्ट मा जैकि देखि अर एयरपोर्ट अथाॅरिटी क दगड़ मा बात कायी। उन्न बोलि कि अथाॅरटी न बोलि कि एक खम्बा तैं छोड़िक सबि खम्बौं फर लिख्यां बौद्ध मंतरु तैं हट्यें कि संस्कृत मा मंतर लिखें जाळा।
सतपाल महाराजन बोलि कि शंकराचार्य न बोलि वु की या पहल अच्छी च, जै तैं पूरु कर्यें जाळु।