जापानी तकनीक से दिल्ली में होगा प्रदूषण पर नियंत्रण
नई दिल्ली। नई दिल्ली में वायु की गुणवत्ता 13 नवम्बर बुधवार को एक बार फिर गंभीर स्तर तक पहुंच गई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और उत्तर भारत में प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही कोर्ट ने केंद्र से प्रदूषण और हवा की गुणवत्ता संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए हाईड्रोजन बेस्ड फ्यूल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने की संभावनाओं को तलाशने के लिए कहा है।
3 दिसंबर तक रिपोर्ट पेश करे सरकार- कोर्ट
दरअसल, केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जापान सहित तमाम तकनीकियों को खोज रही है। केंद्र को इस पर 3 दिसंबर तक कोर्ट को रिपोर्ट पेश करनी है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने कहा, पूरा उत्तर भारत और एनसीआर वायु प्रदूषण की मार झेल रहा है। इसे लेकर सरकार और अन्य जिम्मेदारों ने बहुत छोटे कदम उठाए हैं।
इस तकनीक के माध्यम से प्रदूषण से निपटा जा सकता है- केंद्र सरकार
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि दिल्ली और उत्तर भारत में प्रदूषण से निपटने के लिए जापान की एक यूनिवर्सिटी की रिसर्च पर ध्यान दिया जा रहा है। यह रिसर्च नई है और सरकार का ऐसा मानना है कि इससे इस क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सकता है। इस दौरान मेहता ने जापान की यूनिवर्सिटी के रिसर्चर विश्वनाथ जोशी को भी बेंच से मिलवाया, जिन्होंने बताया कि हाईड्रोजन बेस्ड तकनीक के इस्तेमाल से इससे निपटा जा सकता है.
दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को वायु की गुणवत्ता एक बार फिर गंभीर श्रेणी में पहुंच गई। माना जा रहा है कि अगले दो दिन इससे राहत नहीं मिलने वाली. वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर) के मुताबिक, बुधवार सुबह 7 बजे दिल्ली की औसत वायु की गुणवत्ता 467 रही. दिल्ली के अलावा वायु गुणवत्ता की बात करें तो एनसीआर की बात करें तो नोएडा में 472, ग्रेटर नोएडा में 458 और फरीदाबाद में 441 रही।