भारत एक इंच न पीछे हटेगा और न अपनी जमीन छोड़ेंगा
नई दिल्ली। भारत-चीन के बीच 14 घंटे चली वार्ता में भारत ने अपने स्थिति साफ कर दी गई कि वो एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे और अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।
वार्ता में सेना के साथ-साथ विदेश मंत्रालय को भी शामिल करके राजनयिक तौर से चीन पर दबाव बनाने की कोशिश की गई। सेना के अधिकारी और दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच मॉस्को वार्ता में तय हुए पांच बिन्दुओं के आधार पर चीन से एक रोड मैप मांगा गया है।
छठे दौर की वार्ता के लिए तैयार हुए चीन पर दबाव बनाने के लिए भारत ने 12 अफसरों की ‘फौज’ भेजी है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित भारतीय थल सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया। यह पहला मौका था जब इस सैन्य वार्ता में विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि के तौर पर संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव को भी शामिल किया गया। सेना की ओर से दो अतिरिक्त मेजर जनरल अभिजित बापट और मेजर जनरल पदम शेखावत भी चीन से वार्ता करने को बैठे।
इस बार वार्ता में सेना मुख्यालय प्रतिनिधि के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी शामिल हुए। वार्ता में शामिल हुए चीनी जनरल ली शी झोंग और भारतीय जनरल मेनन के बीच अच्छा तालमेल माना जाता है। जनरल पीजीके मेनन चीनियों से निपटने में विशेषज्ञ माने जाते हैं। जनरल मेनन को इस बैठक का हिस्सा इसलिए भी बनाया गया क्योंकि वह अक्टूबर से 14वीं कोर की कमान संभालने जा रहे हैं। वह सीधे सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को रिपोर्ट करते हैं।