हिमालय सामरिक दृष्टि से भारत की ढाल

देहरादून। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज एक स्थानीय होटल में सतत् पर्वतीय विकास सम्मेलन का उद्घाटन किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने हिमालय संरक्षण के लिए ‘थ्री सी’ और ‘थ्री पी’ का मंत्र दिया। थ्री सी यानी केयर, कंजर्व और को-ऑपरेट एवं थ्रीपी यानी प्लान, प्रोड्यूस और प्रमोट। मुख्यमंत्री ने राज्य में वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से ईको टास्क फोर्स की दो कंपनियां गठित करने की घोषणा की। इन दो कंपनियों में लगभग 200 पूर्व सैनिक सेवा देंगे और आने वाले वर्षों में इस पर लगभग 50 करोड़ रुपए, व्यय का अनुमान है।

हिमालय दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने देहरादून की रिस्पना नदी को फिर से पुराने स्वरूप में लाने की अपील भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व में ऋषिपर्णा नदी जो आज रिस्पना के नाम से प्रसिद्ध है कोे प्रदूषण मुक्त और निर्मल जल से युक्त करने के लिए लोग अपने सुझाव दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा की परिकल्पना बिना हिमालय के नहीं हो सकती है और देश और दुनिया की गंगा के प्रति आस्था यह व्यक्त करती है कि उनकी हिमालय के प्रति भी आस्था है। हिमालय, भारत का भाल तो है ही, सामरिक दृष्टि से भारत की ढाल भी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय हमारे जीवन के हर सरोकार से जुड़ा हुआ है। भारतीय संस्कृति का जन्मदाता भी हिमालय है। हिमालय की चिंता सिर्फ सरकार करें यह संभव नहीं है, अधिकतम जन सहभागिता की आवश्यकता है। समाज के हर छोटे बड़े प्रयास की आवश्यकता है।

आईएमआई के सचिव श्री सुशील रमोला ने कहा कि हिमालय को बचाने के लिए सभी स्टेकहोल्डर्ज को साथ में मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने हिमालयी राज्यों के इंटर रीजनल पार्टनरशिप पर भी बल दिया।
अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह ने लोगों का स्वागत करते हुए सतत् पर्वतीय विकास सम्मेलन की आवश्यकता और महत्व को बताया। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग और पलायन जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम को परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि ने भी संबोधित किया। उद्घाटन सत्र के कार्यक्रम में शासन के वरिष्ठ अधिकारी, पर्यावरणविद्, शिक्षाविद और गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

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