कोरोना वाइरस के खिलाफ ‘हर्ड इम्यूनिटी’ विकसित करे भारत
कोरोना वायरस का संक्रमण से बचाव के लिए विश्व भर में लाॅकडाउन चल रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक है।
इस बीच विशेषज्ञों में लाॅकडाउन को लेकर यह चर्चा जारी है कि लाॅकडान कब तक? उनका मानना है कि लाॅकडाउन से कोरोनो को कुछ दिनों तक तो रोक जा सकता है। जैसे ही लाॅकडाउन हटेगा वैसी यह वायरस तेजी से फैलने लगेगा क्योंकि लाॅकडाउन के हटते ही लोग एक दूसरे से मिलने जुलने लगेेंगे।
उनका का मानना है कि फिलहाल कोरोना वाइसर के लड़ने का एक मात्र स्थायी समाधान देश की बड़ी आबादी में इम्यूनिटी लेवल के बढ़ने से ही मिल सकता है। विशेषज्ञ इसके लिए सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता’ बढ़ाने की सलाह दे रहे हैं।
इस सिद्धांत के मुताबिक, जब बड़ी आबादी में कोरोना का संक्रमण होगा तो उसमें वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होगा। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, संक्रमित लोगों के शरीर में कोरोना से लड़ने की क्षमता बढ़ जाएगी तो उनके शरीर पर कोरोना के संक्रमण का कोई असर नहीं होगा और फिर कोरोना भी शरीर में पहले से मौजूद करोड़ों-अरबों वायरस की तरह एक आम वायरस बनकर रह जाएगा। हालांकि, इस थ्योरी को यूनाइटेड किंगडम सरकार ने नकार दिया।
विशेषज्ञ जयप्रकाश मुलियिल का कहना है, ‘कोई भी देश लंबे समय तक लॉकडाउन नहीं झेल सकता है और खासकर भारत जैसा देश। आपको बुजुर्गों को इन्फेक्शन से बचाकर हर्ड इम्यूनिटी के एक पॉइंट पर पहुंचना होगा और जब हर्ड इम्यूनिटी पर्याप्त संख्या में पहुंच जाएगी तो महामारी रुक जाएगी, तब बुजुर्ग भी सुरक्षित हो जाएंगे।’
वहीं नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर डिजीज डायनैमिक्स, इकनॉमिक्स ऐंड पॉलिसी और वॉशिंगटन स्थित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्तांओं की एक टीम का मानना है कि भारत में हर्ड इम्यूनिटी की थ्योरी कामयाब हो सकती है क्योंकि यहां की बड़ी आबादी युवाओं की है।