समल़ौण : हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा

न केवल हिन्दुस्तान बल्कि विश्व-राजनीति मा बी जण्येण वाला, अपणि ठसक अर स्वाभिमान का वास्ता भलि तरां पछ्यण्येण वाला छाई हेमवती नंदन बहुगुणा।

उत्तराखण्ड मा हेमवती नंदन बहुगुणा अपणि प्रशासनिक योग्यता, पहाड़ का दुःख‘ दर्द, समस्यों का जाणकार अर वांको समाधान कन मा समर्थ मनखी का रूप मा लगातार समलेण्या छन/अगनै बी समलेंण्या राला।

25 अप्रैल 1919 का दिन श्रीमती पुन्ना देवी अर पं. रेवती नंदन बहुगुणा की छै नौन्यूं का बाद बुधाणी गौं मा हेमवती नंदन को जलम ह्वे। बुबाजी (पं. रेवती नंदन बहुगुणा) पट्वारी छा त नौंना का जलम से खूब धूम-धाम ह्वे।

लाड-प्यार सुख-सुविधौ की क्वी कमी नि छई। र्ध्या नौं धरेग्ये-कल्या़। बुधाणी, पौड़ी देहरादून का बाद ‘कल्या’ तैं इलाहाबाद पढ़णा वास्ता फट्यएग्ये। राजयोग छई छयो। इलाहाबाद मा बी खूब नौ कमाए। देश गुलाम छयो त इलाहाबाद मा छात्र राजनीति का माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ि गैंन। आन्दोलन- जेल दिन-चर्या बणिग्ये।

हेमवती नंदन बहुगुणा का राजनीतिक-सामाजिक जीवन मा इतगा उकाल-उदार ऐंन कि एकदम से क्वी यकीन नि कैरि सकदो कि गढ़वाल जना पिछड्यां इलाका का बुधाणी गौं को क्वी मनखी इतगा अगनैं बी जै सकद?

उत्तराखण्डै आजै राजनीति का सिलसिला मा विकास का नौं पर सूखा भाषण अर वायदों की वजह से बी हेमवती नंदन बहुगुणा तैं लोग याद कना छन। लोग, वो जाॅंन हेमवती नंदन बहुगुणा प्रशासनिक-राजनीतिक व्यक्तित्व देख्ये अर ऊंको कमाल बी देख्ये। लोग, वो ना, जो हेमवती नंदन बहुगुणा को नौं ले कै, कम से कम उत्तराखण्ड/गढ़वाल़ मा राजनीतिक रवटि खाणा छन। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल-हिमालय, गंगा जमुना की तरां सबुकी भलै कन अर चाण वाल़ा मनखी छया। अपणा नौं तैं सार्थक सिद्ध कन वाला बहुगुणा जी हिमालय की तरां अटल रैन अर हिमालय टुटि सकद पर झुकि नि सकदो, ऊंको आदर्श राए। ऊंकी संगठन क्षमता अर राजनीतिक जोड़-तोड़ से बड़ा-बड़ा राजनीतिक महारथी घबरांदा छया।

समाज का हर वर्ग, मजदूर-किसान, सरकारी कर्मचारी, गौं का लोग, बुद्धिजीवी अर मुसलमानों का बीच बी वो काफी लोकप्रिय छया। उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री का रूप मा बहुगुणा जी का प्रशासनिक सुधार, कर्मचारियों की भलै का वास्ता कर्यां काम, सरलता आदि आज बी मिसाल का तौर पर याद करेंदन। गढ़वाल़ से दूर इलाहाबाद तैं अपणि कर्मस्थली बणैं कै ऊंन राजनीति मा जो मुकाम हासिल करे वो प्रेरणादायक छ। बाद मा गढ़वाल़ौं प्रतिनिधित्व बी ऊंन संसद मा करे।

सै मानौं मा दिख्ये जावा त स्व. बहुगुणा न अलग राज्य उत्तराखण्डै नींव वई दिन धैरि याली छई जब ऊंन उत्तर प्रदेश का अन्तर्गत ही पर्वतीय विकास परिषदै स्थापना करे व वांको बजट बी अलग करे।

17.03.1989 का दिन लगभग सत्तर सालै उमर मा, भारतीय राजनीति का धुरंधर विद्वान अर जाणकार बहुगुणा जी को स्वर्गवास ह्वे। बहुगुणा जी का जीवन का आखिरी बरस असन्तोषजनक रैन। यां को कारण यो बी रोए कि वो कांग्रेसै व्यक्तिवादी राजनीति से ऊबिग्ये छया। ऊंन सदानें अन्याय का खिलाफ आवाज उठाए। राजनीति मा भाई-भतीजावाद, जातिवाद, परिवारवाद अर धर्म-सम्प्रदाय तैं ऊंन सदानें बायकाट करे। दरअसल राजनीति का कुशल खिलाड़ी हेमवती नंदन बहुगुणा को चरित्र एक अणसुलझी पहेली बणिके रैग्ये। इंदिरा कांग्रेस मा संजय गांधी का आणा बाद, आपातकाल लागू होंणे, जगजीवनराम दगड़ सी, एफ.डी. बणाणो, जनता पार्टी अर बाद मा चैधरी चरण सिंह जना जन्मजात विरोधियों दगड़ सत्ता मा भागीदार बणणो, बहुगुणा जी का वश की ही बात रैंन। जन्मजात कांग्रेसी अर वो बी साम्यवाद का समर्थक बहुगुणा जी न दक्षिणपंथी जनसंघ अर जातिवादी राजनीति का शीर्ष स्तम्भ चैधरी चरण सिंह दगड़ बी तालमेल बिठै कैं अपणा विरोधियों तैं अपणी संगठन क्षमता व राजनैतिक सूझ-बूझ से घायल कैरि दे।

बेशक, अपणि कुछ राजनीतिक गल्तियों से बहुगुणा जी भारतीय राजनीति की चोटी पर नि पौंछि पाया पर ऊंन अपणो स्वाभिमान नि बिकायो अर जी-हुजूरी की राजनीति नि कैरिकै अपणो स्वतंत्र अस्तित्व बणै कै रख्ये।

ऊंकू मूल मंत्र छाई कि –
राजनीति का अर्थ सत्ता नि, सेवा च।

साभार: गढ़वाल़ै धै

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