हरीश रावतन बोलि, अधीर रंजन चौधरी न राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से माफी मांगि याली, अब ऐ प्रकरण थैं खतम करैं ज्यां
देरादूण। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू थैं राष्ट्रपत्नी ब्वलण पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरीन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से माफी मांगि याली। उन्न राष्ट्रपति थैं चिट्ठी लेखि क अपड़ि सफै दें कि उन्न या बात जाणि-बूझिक नि बोलि।
ऐ मामला मा अब उत्तराखण्डक पैल्यक मुख्यमंत्री हरीश रावतन एक चिट्ठी लेखिकि अधीर रंजन प्रकरण थैं खतम करणा क बात बोलि। उन्न सोशल मीडिया मा एक पोस्ट लेखि वू एक पैल्यक सांसद अर हिन्दी जणण वला कार्यकर्ताक तरौं विनती करण छन, बल अब अधीर रंजन प्रकरण थैं खतम करैं ज्यां। अधीर रंजन न अपड़ि बात खूंणि माफी मांगि याली।
एक पूर्व सांसद का अनुरोध, एक हिंदी के प्रति समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता का अनुरोध, बस करो श्री अधीर रंजन प्रकरण को..https://t.co/helJ5AciNv..न दिखाइए, आपका यह छोटापन अब ओछा भी लग रहा है।#india #BJP4IND #संसद #Congress @narendramodi #SoniyaGandhi #DroupatiMurmu@INCIndia pic.twitter.com/ULIvB24xZk
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) July 30, 2022
उन्न लेखि भारतीय राजनीति मा इतगा तंगदिल नि हूंण चैं कि महामहिम खूंणि अचाणचक निकल्यां शब्द खूंणि, अपड़ा दगड़याक महामहिम क सम्मान मा मग्यें ग्यें माफी थैं मंजूर नि करैं ज्यां।
चिटठी मा उन्न लेखि बल जन्न संसद मा भाजपा सांसदु न सोनिया गांधी थैं घेरिक धमकौंणक कोसिस कायी व बौत गलत छायीं। गलती अधीर रंजन से ह्वै अर सोनिया गांधी बीच मा घिगोड़े (घसीटा) ग्यायी।
चिट्ठी मा उन्न दक्षिणा क अहिंदी भाषी लोगु थैं लेकैकि अपड़ि बात बोलि बल अगर हम इन्न मामलु थैं अगनै बढ़ौला त जौ थैं हिन्दी नि आन्दि उ हिन्दी मा बात कनकैकि कारला।
उन्न अटल विहारी वाजपेई क एक किस्सा भि बतै। उन्न लेखि बल अटल जी क बगत मा उ वाजपेयी क दगड़ मा राजभाषा समिति क दूसर उप समिति क सदस्य छायीं। वाजपेयी जी न एक अहिन्दी भाषी तोम्बी सिंह जी थैं समिति कु संयोजन बण्यें। ई समिति में अहिन्दी भाषी सदस्यु मा दक्षिण क सांसद भी छायीं। अटल जी सदनि सब्यौं थैं अधिकारियों क दगड मा टूटी-फूटी हि सै पर हिन्दी मा हि प्रश्न पूच्छणा खूंणि ब्वलदा छायीं। उन्न बतै कि एकदा एक दक्षिण भारतीय सांसद न इन्न शब्द बोलि दें जैकु अर्थ कुछ औरि हूंद। सब्यां जोर-जोर से हैंसण लग्यां अर अटल बिहारी जी न मेज थपथपे की ऊंक ब्वलण अंदाज थैं अगने बढ़ौणा क कोशिश कायी। जबकि जू शब्द ब्वले ग्यें वु गलत छायीं। अटल जी न ऊंकी बढ़ै कायी जबकि उ अटल जी क पार्टीक भि नि छायीं। इल्लै हि हमथैं हिन्दी थैं राष्ट्रभाषा बणौंण त राजनीति क तंगदिली से अगनै बढ़िक स्वचण प्वाड़ळु।
आखिर मा हरीश रावतन भाजपा पर तंज कायी अर लेखि कि राजनीति क लोभ मा छवट्टु पना नि दिख्यां, किलैकि यू छवट्टुपन अब ओछु भि लगण बैठिग्यें।