उत्तराखण्ड में बने ‘हार्डचीज’ की विदशों में धूम, सफल हो रहा त्रिवेन्द्र सरकार का ग्रोथ सेंटर कान्सेप्ट
क्या किसी ने कभी सोचा होगा कि ऐसा भी समय आएगा कि जब उत्तराखण्ड में देसी नस्ल की गाय के दूध से बना हार्ड चीज (ठोस पनीर) दुनियाभर के बर्फीले देशों में निर्यात होगा। जी हां! वो वक्त आ चुका है। बद्री गाय के दूध से बना ठोस पनीर बैंगलौर की एक निजी कम्पनी ‘हिमालयन बास्केट प्राइवेट लिमिटेड’ के जरिए विदेशों में भेजा जा रहा है। शुद्धता के बूते बेहद कम समय में मशहूर हुए इस हार्ड चीज की इतनी ज्यादा डिमांड है, जिसे पूरा करने में पशुपालकों के पसीने छूट रहे हैं। सप्लाई बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने तीन नए ग्रोथ सेंटरों में ठोस चीज का उतपादन शुरू किया है। दूध से निर्मित इस वैल्यू एडेड प्रोडक्ट के अच्छे दाम मिलने से पशुपालकों के चेहरे भी खिले हुए हैं।
उत्तराखण्ड में डेयरी उद्योग निरन्तर प्रगति कर रहा है। आय में बढ़ोत्तरी के साथ ही डेयरी प्रोडक्ट्स की खपत भी बढ़ती जा रही है। अब पहले की तरह डेयरी से जुड़े लोग सिर्फ दूध के व्यापार तक सीमित नहीं रहे बल्कि उनके डेयरी प्रोडक्ट हाथोंहाथ बिक रहे हैं। दूध से घी, पनीर, हार्ड चीज आदि के अपने ब्रांड बनाकर बेहतरीन पैकेजिंग और मार्केटिंग से उन्हें अच्छे दामों पर बेचा जा रहा है। जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर के लाखामण्डल गांव के पशुपालकों ने तो सामूहिक प्रयास और सरकार की सहायता के बूते डेयरी बिजनेस के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित कर डाले हैं। उनका दूध से बना ‘घी’ और ‘हार्ड चीज’ (ठोस पनीर) देश ही नहीं विदेश में भी मशहूर होने लगा है। दरअसल, स्थानीय काश्तकारों की पशुपालन में रुचि को देखते हुऐ वर्ष 2014 में लाखामण्डल में ‘दुग्ध अवसीतन केन्द्र’ की स्थापना की गई। इस केन्द्र में गांव से दूध एकत्रित कर वाहन के जरिये देहरादून भेजा जाने लगा। दूध के ट्रांसपोर्टेशन में प्रतिमाह लगभग एक लाख रूपया खर्च आने से दुग्ध उत्पादकों को लाभांश के रूप में मामूली राशि ही बच पाती थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिशा-निर्देशन में त्रिवेन्द्र सरकार ने किसानों और पशुपालकों की आय दोगुना करने की योजना पर गंभीरता के साथ काम किया। काश्तकारों के उत्पादों को मूल्य वर्धित (वैल्यू एडेड) पदार्थों में तब्दील कर बड़े शहरों और कम्पनियों में उनको बेचे जाने की योजना बनाई गई। इसी योजना के तहत कुछ महीनों पहले ‘दुग्ध अवसीतन केन्द्र’ लाखामण्डल को डेयरी विकास विभाग के सहयोग से ‘डेयरी ग्रोथ सेंटर’ में तब्दील कर दिया गया। इस ग्रोथ सेंटर में एकत्रित होने वाले दूध से ‘बद्री घी’ और ‘हार्ड चीज’ बनाया जाता है। इसके लिए ‘दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड’ की ओर से अत्याधुनिक उपकरण ग्रोथ सेंटर में स्थापित किए गए हैं। बद्री घी 700 रूपया व हार्ड चीज 650 रूपया प्रतिकिलो की दर से बेचा जा रहा है।
हाल ही में हार्ड चीज की खरीद के लिए एक निजी कम्पनी ‘हिमालयन बॉस्केट प्राइवेट लिमिटेड’ बंग्लौर के साथ डेयरी ग्रोथ सेंटर लाखामण्डल का सीधा करार हुआ है। यह कम्पनी सीधे ग्रोथ सेंटर से हार्ड चीज खरीदकर देश-विदेश में सप्लाई कर रही है। हार्ड चीज की बर्फीले देशों में खासी डिमांड है। इसे ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। वहां के लोग इसे दिनभर चबाते रहते हैं। कई देशों में हार्ड चीज को डॅाग फूड (कुत्ते का भोजन) के रूप में भी प्रयोग करते हैं। इस पूरी कवायद का नतीजा यह सामने आया कि दूध के मूल्य वर्धित उपादों के विपणन से प्राप्त लाभांश का लाभ सीधे दुग्ध उत्पादकों को दिया जाने लगा। पहले दुग्ध उत्पादकों को बामुश्किल 30 रूपया प्रतिकिलो की दर से दूध से दाम मिलते थे जो अब बढ़कर 34 रुपया प्रतिकिलो हो गए हैं। उन्हें लगने लगा है कि पशुपालन अब मुनाफे का सौदा बनता जा रहा है। डेयरी ग्रोथ सेंटर से रोजाना नये दुग्ध उत्पादक जुड़ते जा रहे हैं। दून जिले के लाखामण्डल क्षेत्र, उत्तरकाशी जिले की यमुना वैली और टिहरी जिले के नैनबाग इलाके के पशुपालक लाखण्डल ग्रोथ सेंटर के सदस्य हैं जिनकी मौजूदा संख्या 400 के आसपास है। सेंटर में प्रतिदिन 1200 लीटर दूध प्रोडक्ट निर्माण के लिए प्रोसेस किया जा रहा है। स्थानीय पांच युवकों को इस ग्रोथ सेंटर में स्थायी रोजगार भी मिला है। लाखामण्डल डेयरी ग्रोथ सेंटर की सफलता के बाद राज्य सरकार ने तीन अन्य स्थानों जखोला चमोली, सुमाड़ी रुद्रप्रयाग और कमेड़ी बागेश्वर में भी इसी तर्ज पर डेयरी ग्रोथ सेंटर की स्थापना और वैल्यू एडेड प्रोडक्ट बनाने का काम शुरू कर दिया है।