गुणों से भरपूर घास दूब
दूब या दुर्वा का वैज्ञानिक नाम- ‘साइनोडॉन डेक्टिलॉन’ है। दूब या ‘दुर्वा’ वर्ष भर पाई जाने वाली घास है जो जमीन पर पसरते हुए या फैलते हुए बढ़ती है। हिन्दू संस्कारों एवं कर्मकाण्डों में इसका उपयोग किया जाता है
महाकवि तुलसीदास ने दूब को अपनी लेखनी में इस प्रकार सम्मान दिया है। ‘राम दुर्वादल श्याम, पद्याक्षं पीतावाससा।’
प्रायः जो वस्तु स्वास्थ्य के लिये हितकर सिद्ध होती थी, उसे पूर्वजों ने धर्म के साथ जोड़कर उसका महत्त्व और भी बढ़ा दिया है। दूब भी ऐसी ही वस्तु है।
दूब घास पशुओं के लिए ही नहीं बल्कि मनुष्यों के लिए भी पूर्ण पौष्टिक आहार है। अनेक औषधीय गुणों की मौजूदगी के कारण आयुर्वेद में इसे ‘महाऔषधि’ में कहा गया है।
दूब के पौधे की जड़ें, तना, पत्तियां सभी का चिकित्सा के क्षेत्र में विशिष्ट महत्व है। आयुर्वेद के अनुसार दूब का स्वाद कसैला-मीठा होता है। विभिन्न प्रकार के पित्त एवं कब्ज विकारों को दूर करने के लिए दूब का प्रयोग किया जाता है। दूब घास को पेट के रोगों, यौन रोगों, लीवर रोगों के लिए चमत्कारी माना जाता है।
औषधि प्रयोग
दूर्वा घास शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को उन्नत करने में सहायक होती है। इसमें एन्टीवायरल और एन्टी माइक्रोबियल (रोगाणुरोधी बीमारी को रोकने की क्षमता) गुण होने के कारण यह शरीर के किसी भी बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है।
दूर्वा घास के लगातार सेवन से पेट की बीमारी को खतरा कुछ हद तक कम होने के साथ पाचन शक्ति भी बढ़ती है। यह कब्ज, एसिडिटी से राहत दिलाने में मदद करती है।
दूर्वा मसूड़ों से रक्त बहने और मुँह से दुर्गन्ध निकलने की समस्या (पायरिया) से राहत दिलाती है।
दूर्वा घास त्वचा सम्बन्धी बीमारियों में भी सहायक होती है। दूर्बा घास को हल्दी के साथ पीसकर पेस्ट बनाकर त्वचा के ऊपर लगाने से त्वचा सम्बन्धी कुछ समस्याओं से राहत मिलती है।
सुबह नंगे पाँव हरी दूब वाली घास पर चलने से माइग्रेन रोग दूर होता है। ओसयुक्त दूब घास हमारे लिये एक्यूप्रेसर का काम करती है। वैसे आँख की रोशनी बढ़ाने के लिये बहुत सहायक होती है क्योंकि विटामिन ‘ए’ हमें मिलता है। और इस प्रक्रिया से लोगों के चश्मे भी उतरने लगे हैं।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ायें –
दूब घास शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने में मदद करती हैं। इसमें मौजूद एंटीवायरल और एंटीमाइक्रोबिल गुणों के कारण यह शरीर की किसी भी बीमारी से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। यह अनिद्रा रोग, थकान, तनाव जैसे रोगों में भी प्रभावकारी है।
मधुमेह प्रबन्धन में सहायक –
दूब घास मधुमेह रोगी के लिये बहुत लाभदायक होती है। हर्बल जानकारों के अनुसार करीब 10 ग्राम ताजी दूब घास एकत्रित करके साफ धोकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें और उसे पानी में उबाल लें। फिर छानकर ठंडा करके खाली पेट सेवन करके मधुमेह बहुत हद तक नियंत्रित रहेगी।