सरकार ने मांगी विभागों से ‘ब्याज’ की रकम

दून। कोरोना के कारण देश ही नहीं राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति पर बड़ा असर पड़ा है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मन्थन किया जा रहा कि कैसे सरकारी कोष में इजाफा किया जाय। जिससे राज्य की माली हालात को सुधारा जा सके।

ऐसी कड़ी में राज्य सरकार ने अपने सभी विभागों से उनके बैंक अकाउण्ट और उनमें जमा ब्याज राशि का ब्यौरा तलब किया है। आदेश दिये गये हैं कि हर हाल में ब्याज की राशि सरकार के खाते (कोषागार) में जमा कर दी जाए।

वित्त विभाग के आदेश पर वित्त नियंत्रकों ने सभी विभागों को सर्कुलर जारी किया है। दरअसल, राज्य सरकार विभिन्न मदों व स्वीकृत परियोजनाओं की एवज में विभागों को बजट आवंटित करती है। आवंटित बजट विभागों के बैंक अकाउण्ट में डाल दिया जाता है। चूंकि धनराशि को खर्च करने में वक्त लग जाता है लिहाजा बैंक में जमा धनराशि पर आरबीआई के नियमानुसार बैंक ब्याज भी देते हैं।

आज तक होता यह था कि कि ब्याज की राशि सम्बंधित विभाग अपनी आवश्यकतानुसार खर्च कर देते हैं। लेकिन इस बार राज्य सरकार ने सभी विभागों से ब्याज की राशि वापस मांगी है। प्रत्येक विभाग को कहा गया है कि ब्याज की रकम कोषागार में जमा कर दी जाए।

हालांकि वित्त विभाग के अधिकारी इसे हर साल किए जाने वाले रूटीन वर्क बता रहे हैं। जबकि सूत्रों बताते है कि अलग उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड सरकार ने पहली बार विभागों से ब्याज की रकम का न सिर्फ हिसाब-किताब पूछा है बल्कि उसे सरकारी कोष में जमा करने के आदेश भी दिए हैं।

वहींं सचिव वित्त, अमित नेगी का कहना है कि ‘कुछ विभाग ब्याज की रकम नियमानुसार इस्तेमाल करने को अधिकृत होते हैं, जो नहीं हैं उनसे ब्याज की राशि कोषागार में जमा करने को कहा गया है’।

जबकि नियम कहता है कि –
सरकारी विभाग के बैंक खाते में ब्याज की बड़ी राशि जमा होने पर विभाग सरकार से उसे अगले वित्तीय वर्ष में उपयोग की इजाजत (स्पिल ओवर के तहत) मांगेगा या फिर ब्याज की राशि के बराबर धनराशि काटते हुये सरकार उस विभाग को अगला फण्ड रिलीज करेगा।

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