घसेरियों क बेजति, खबरदार (सावधान) उत्तराखण्ड
चमोली हेलंग घाटी मा घसेरियु क घास लुच्छण अर ऊंकु चालान कटणा कु वीडियो सोशल मीडया मा वायरल हूंण च, जै फर वन मंत्री सुबोध उनियालन जांचक आदेश दे दीं।
सुबोध उनियालन ऐ मामला मा जिलाधिकारी थैं जांच करणा बात बोलि। सुबोध उनियाल न बोलि जै जमीनक बात हूंण च वा जमीन टीएचडीसी क च अर वीं जमीन मा मैदान बणाणा कु प्रस्तावित च। जैकु गौं वला विरोध करणा छन। उन्न बोलि कि यू मामलु भि यां से हि जुड्यूं च।
सुबोध उनियाल क इन्न छुईंयों पर सवाल हूंण च। अब अगर हम उंकि बात मान्नि भि ल्यां बल यख खेळकु मैदान बणणु च। पर सवाल यौं च क्या खेल कु मैदान बणाणा कु काम टीएचडीसी कु च? सैच्चें ज्वां समणि आणि च व कुछ औरि च वखम कुईं खेळकु मैदान नि बणणु च। टीएचडीसी वखम गाद खूंणि डम्पिंग कु मैदान बणाणि च। अर गौं क व्यटूळा या कु हि विरोध करणा छन।
अब सवाल यौं च कि घास कटणा वळि घसेरि थैं चौकी मा कैलि बैट्ठयें ग्यें, अर घास कटणा कु चलान किलै? अब अगर वन मंत्री क या बात सै च कि या जमीन टीएचडीसी क च। त सवाल यौं भि च बल क्या टीएचडीसी न बिजली बणौंणा कु काम छोड़िक, पाड़ मा घास बेयच्णा कु काम सुरू कर कैरियाली?
डाळा कटण कु डांड (जुर्माना) ह्वै सकदु, खनन पर डांड ह्वै सकदु पर सैद उत्तराखण्ड मौ पैलि बार ह्वै होलु कि घसेरियों क घास पुलिसन लुच्छिं अर घसेरियों पर 250 रुप्यों कु डांड (जुर्माना) लग्यें अर 6 घण्टा तक चौकी मा बैट्ठयें ग्यें।
पाड़ मा विकास क बौत दरकार च पर कैकु हक-हकुकु थैं लुच्छिं कि त कतै न।
एक तरफ हमरि सरकार घसेरि क मुण्ड बटि घास कु भारू थैं कम करणा खूंणि ‘घस्यारी योेजना’ चलाणि च। त दूसर तरफ हमरि पुलिस घरेसियों फर घास कटणा कु डांड लग्यें कि ऊंकी बेजति करणि च।
उत्तराखण्ड थैं देवभूमि ब्वलें जांद अर ईं देवभूमि उत्तराखण्ड आज माँ-बैणियों (माँ बहनों) क कारण हि बण्यूं। इन्न मा घसेरियों कु घास थैं लुच्छण माँ-बैणियों क बेजति च। उत्तराखण्ड आन्दोलन कु मूल (उद्देश्य) उत्तराखण्डक संसाधनु थैं खप्योण (उपयोग) क काम अपड़ि भले खूंणि अपड़ा हिसाब से करणु अर पाणि, बोण, डांडी-कांठियों मा पैळु हक यखक रैवासियों क हो इन्नों छायीं।
आज घसेरियों के मुण्ड बटि घास लुच्छें जाणु च भोळ कुछ ओरि लुच्छें जालु। घसेरियों क घास लच्छुण अर ऊंथैं 6 घण्टा तक चौकी मा बैट्ठें कि रखणु ब्यटूलों क बेजति हि ना बल सर्या उत्तराखण्ड थैं भि खबरदार करणु च बल आज तुम सब्यां एक नि ह्वै सक्यां त भोळ बौत देर ह्वै जैली अर यांकु दंड (सजा) सर्या उत्तराखण्ड भुगतळु। तब हमथैं अपड़ा गाड़ गदेरा, पाणि, बोण, जमीन, लोक संस्कृति अपड़ि पच्छ्याण बोलि-भाषा खव्जयण पर भि नि मिळलि।