आदर्श अर भाषण सिर्फ उपदेश देणैं छ्वीं बणि गैन
UK Dinmaan
उत्तराखण्डी जनता का त्याग-बलिदान अर संघर्ष का बाद बण्यां उत्तराखण्ड राज्य मा सरकारी कौथिग त खूब मनाएग्ये पर अलग राज्यै गाणी-स्याणी-सुपिनौं की तर्फ कैको ध्यान निगयो। बड़ी-बड़ी छ्वीं, बड़ी-बड़ी-बड़ी गप्प, बड़ा-बड़ा वायदौ की गप्प एक इना शहर देहरादून मा लगाए गैंन जो कबि बी पहाड़ौ हितैषी नि रायो। बड़बोला कास्मोपालिटिन शहरै सभ्यता-संस्कृति अर शोषण को दूसरों नौं देहरादून पहाड़ौं प्रतिनिधि बणए जाणू छ जबरदस्ती। जै मा जतगा बिण्डि रूप्या छन खरीदि ल्यावा।
पन्द्रह अगस्त का नौं परैं तमाम उल-जलूल कार्यक्रमों पर जनता का विकास का रूप्यो तैं फूकि कै डेमोक्रेसी को इनो ठट्टा लगणू छ कि न भूतो न भविष्यति। बेशक आज क्वी बी यूं राजनैतिक ड्रामों का विषय मा कुछ नि बोलि सकणू छ पर आखिरकार क्वी ना क्वी कबि ना कबि अर कखि ना कखि त सर्रा उत्तराखण्डै जनता की ईमानदार भलै की बात त उठालो?
आज वोटै राजनीति सर्वोपरि ह्वैग्ये। कुर्सी याने सत्ता पर कब्जा कना वास्ता तमाम हथकण्डा इस्तेमाल करेण्या छन अर यां की परम्परा ही बणण लैग्ये। सामाजिक विषमताओं से बढ़णू असन्तोष बेरोजगारी की भीषण समस्या पर चौछ्वड़ि राजनितिक चश्मा को इस्तेमाल होण सै देशै प्रगति अर विकास दुष्प्रभावित होंण लग्यूं छ। राष्ट्रीय, प्रादेशिक अर स्थानीय स्तर पर माफियावाद से समरथ को नाहि दोष गुसाईं की भावना मजबूत हांणी छ। आदर्श अर भाषण सिर्फ उपदेश देणैं छ्वीं बणि गैन।
राजनीति का चश्मा से लोक कल्याण ना बल्कि अपणो अर अपणौ को कल्याण कनो प्रमुख कर्त्तव्य अर धर्म बणिग्यें। ह्वे सकद कि राजनीति का दुंद मा सब राजनितिज्ञ जनता तै बिसिरि बी जावन पर इतिहास त अपणो काम कारलो ही। भाषणों-वायदों अर बयानों से क्या खरबों रूप्यों से क्यो ज्यूंदा-स्वर्ग नि बण्ये। फांगी छन बांजी बी निरपणी धार मा, नेता जी टुण्ड बैठ्यां-सिया दून मा।
साभार : ‘गढ़वालै धै’