गजब! नदियों में जेसीबी व पोकलैैंड मशीन से ‘चुगान’ की अनुमित
सरकार ने मशीनों के इस्तेमाल से उपखनिजों के खनन की अनुमति दी है। चूंकि शासन से इस सम्बंध में जारी आदेश में किन से मशीनों से खनन हो सकेगा इसका उल्लेख नहीं किया गया है लिहाजा इसका फायदा उठाकर खनन व्यवसायी जेसीबी व पोकलैण्ड जैसी मशीनों को नदी व राजस्व लॉट क्षेत्र में उताकर धड़ल्ले से खनन कर सकेंगे। मशीन से खनन की अनुमति देने के लिये लॉकडाउन में श्रमिकों की कमी को आधार बनाया गया है।
चर्चित नौकरशाह अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बीते 13 मई को इस सम्बंध में आदेश जारी किया है। निदेशक भूतत्व एवं खनिज कर्म इकाई और सभी जिलाधिकारियों को जारी इस आदेश में कहा गया है कि बीते 2 मई को केन्द्र सरकार ने लॉकडाउन अवधि में प्रदेश में खनन क्रियाओं, रिवर ट्रेनिंग आदि को मानक संचालन प्रक्रिया के अधीन शुरू करने की अनुमति दी है। लेकिन लॉकडाउन की वजह से श्रमिकों का टोटा है और यह भी जरूरी है कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिये न्यूनतम श्रमिकों से काम लिया जाय। मजदूरों की संख्या सीमित रखने के लिये मशीनों को उपयोग किया जाए।
आदेश में कहा गया है कि राज्य स्तर पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण (एसईआईएए) ने भी इस सम्बंध में शासन को पत्र भेजकर सुझाव दिये थे। विचार के बाद शासन ने निर्णय लिया है कि 100 हैक्टेअर तक के नदी जल उपखनिज क्षेत्र में जिनमें पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त है, वहां कुछ मानकों का ध्यान रखते हुये लाइट सेमी मैकेनिज्म तरीके से चुगान किया जा सकता है। यह अनुमति आगामी 15 जून तक वैद्य रहेगी। हालांकि आदेश में मशीनों के प्रयोग के लिये कुछ शर्तों का पालन करने को भी कहा गया है।
पहली शर्त यह होगी कि खनन पट्टेधारक को श्रम विभाग से ऐसा प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा कि कोविड-19 के संक्रमण के कारण चुगान क्षेत्र में आवश्यक श्रमिक उपलब्ध नहीं हैं। दूसरी शर्त यह होगी कि मशीन के प्रयोग से वातावरण पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए तथा चुगान निर्धारित मानकों के आधार पर ही करना होगा।
सरकार के फैसले पर सवाल –
लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित श्रमिक वर्ग हुआ है। श्रमिक वर्ग ही जब चुगान में सहभागिता नहीं कर रहा है तो पर्यावरण की कीमत पर मशीनों से चुगान की छूट क्यों दी गई।
मशीन से खनन होता है न कि चुगान।
गहराई तक खनन से नदी का बहाव होगा प्रभावित। बाढ़ की बढ़ेगी आशंका।