गैरसैंण राजधानी ही उत्तराखण्ड वासियों की सही मा जीत हौली

ब्रिटिश गढ़वाल का चौदपुर परगणा की लोहवा पटटी अर वर्तमान मा जनपद चमोली की तहसील अर विकास खण्ड गैरसैंण दूधातोली अर व्यासी पर्वत श्रृखला सी घिरयुं सम्पूर्ण उत्तराखण्ड का केन्द्र मा स्थित छा। 60-70 वर्ग किमी मा फैली ई समतल घाटी की समुद्र तल सी ऊॅचाई लगभग 5360 फीट छ। यै क्षेत्र सी आटागाड पश्चिमी अर पूर्वी नयार अर पश्चिमी रामगंगा नदी बगणी छन। बांज बुरास खर्सू काफल चीड़ जन यख जंगलो की मुख्य प्रजाति छन। गेवाढ चांदपुर गढ़ी अर बधाण गढ़ी यै क्षेत्र का चारां तरफ स्थित छ। विश्व प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल बिनसर अर बेनीताल जनु सौन्दर्य स्थल भी यख मौजूद छ।

ब्रिटिश शासनकाल मा भि लुशिग्टन जब कुमाऊँ कु कमिश्नर यै त साल मा कुछ दिन गैरसैंण मा रंदु यै। तै टैम सीनियर असिस्टेन्ट कमिश्नर पौड़ी का कार्यालय तै गैरसैंण मा स्थानान्तरित करना कु प्रस्ताव भी आयी।

गैरसैण तै उत्तराखण्ड राज्य की सथायी राजधानी बणाणा खुण टैम-टैम पर कई जन संगठनों द्वारा आन्दोलन भी करी गैन। राज्य निमार्ण सी पहली 24-25 जुलाई 1992 मा गैरसैण मा उत्तराखण्ड क्रान्ति दल का 14 वां महाधिवेशन मा गैरसैंण तै वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली का नौ पर चन्द्रनगर नाम सी राज्य की राजधानी घोषित करै गैनी। राजधानी का चयन खुण गठित कौशिक समिति न गैरसैंण तै राज्य की राजधानी का रूप मा अपणी रिपोर्ट दीकन उपयुक्त बतायी छै। राज्य की स्थायी राजधानी का निर्माण खुण गठित वीरेन्द्र दीक्षित आयोग न भी गैरसैण कु भू सर्वेक्षण करायी लेकिन तौन समस्याओं तै गिणैक्न गैरसैंण तै खरिज करिक्न देहरादून मा ही स्थायी राजधानी बणाणा की सिफारिश करिन जैकी चारां तरफ आलोचना ह्यायी।

पिछला कई सालों मा विभिन्न दल गैरसैण मा राजधानी की मांग कुण आदोलित रहया। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा न 3 नवम्बर 2012 मा राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक गैरसैण आयोजित करैक्न उत्तराखण्ड का इतिहास कु नयु अध्ययन जोडी 2014 मा गैरसैण मा विधानसभा सत्र आयोजित करना का साथ ही भराडी सैण मा विधानसभा भवन कु निर्माण शुरू करायी। साल 2015 मा विधानसभा कु बजट सत्र गैरसैण मा चली लेकिन राजधानी का नौ पर कुछ नि ह्वायी।

आज भी देहरादून मा गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान कर्मी लगातार गैरसैंण राजधानी की मांग खुणी धरना स्थल पर संघर्ष करना छन। राजधानी का नौ फर प्रयास त हौणा छ लेकिन सकारात्मक परिणाम तभी मिलला जब हम वास्तव मा ये मुददा मा शहरों मा नि गांवों मा चलौण पवाड्लू। उत्तराखण्ड कु विकास सही मायनों मा तभी हौलु जब यु मुद्दा सिर्फ मुद्दा न बणिकन यथार्थ मा ठोस कदमों का साथ अगनै बढलु। तभी उत्तराखण्ड वासियों की सही मा जीत हौली।

साभार गढ़वालै़ धै

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