‘फ्री’ का चुनावी करंट . . .

UK Dinmaan

आम आदमी पार्टी की धमक अब उत्तराखण्ड में सुनाई देने लगी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल भले ही आम आदमी पार्टी के वर्चस्व को उत्तराखण्ड में नकार रहे हो। लेकिन आम आदमी पार्टी के कदमों की आहट मात्र से ही भाजपा और कांग्रेस में माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती है। प्रदेश में विधान सभा 2022 में लगभग 7 महीने का ही वक्त ही बचा है। प्रदेश में केजरीवाल माॅडल और फ्री-फ्री-फ्री की गुंज चारों तरफ सुनाई पड़ रही है। यही बड़ा कारण है कि प्रदेश के नये नेवले ऊर्जा मंत्री ने प्रदेशवासियों को 100 यूनिट बिजली फ्री में देने की घोषणा कर दी। फ्री बिजली के झांसे में भाजपा ही नहीं कांग्रेस भी फंस गई। कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपना चुनावी पैतरा फेंकते हुए प्रदेेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही पहले सौ और फिर 200 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा जनता से कर दिया।

केजरीवाल तीन सौ यूनिट बिजली फ्री देने के अपने जाल में उत्तराखण्ड की जनता को फंसा कर एक तीर से दो निशाना साधना चाहते है। पहला वह उत्तराखण्ड में अपने पैर जमाना चाहते है तो दूसरा देश की राजधानी दिल्ली के लिए बिजली पानी की पूरी व्यवस्था उत्तराखण्ड से करना चाहते है।

यहां हमें ‘फ्री’ के नफा-नुकसान के गणित को भी समझना होगा। फ्री शिक्षा, फ्री स्वास्थ्य, फ्री वैक्सीन, फ्री राशन सुनकर कानों को सुकून जरूरी मिलता है। जबकि परदे के पीछे की हकीकत कुछ ओर ही है। फ्री शिक्षा के ही कारण आज सरकारी स्कूल बन्दी के कगार पर है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना काल में बन्द पड़े निजी स्कूळ बिना पढ़ाई के पूरी फीस वसूल रहे है। तो स्वास्थ्य की लचर सेवा किसी से छिपी नहीं है। फ्री के लालच में कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में आज निजी टेली कम्पनियों ने आम आदमी को अपनी गिरफ्त में जकड़ लिया है। “फ्री वैक्सीन” के सरकारी दावा के बड़़े-बड़े होर्डिंगों से शहर पटा पड़ा है। मगर हकीकत यह है कि सरकारी वैक्सीनेशन सेन्टर में वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, जबकि प्राइवेट अस्पतालों में हर वक्त वैक्सीन उपलब्ध है।

आज निजी क्षेत्र के लिए आम आदमी मात्र एक दुधारू गाय (कमाने का साधन) भर है। ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि फ्री बिजली झांसे में आम जनमानस के साथ-साथ पाॅवर कारपोरेशन भी निजी हाथों के शिकंजे में फंस जाय।

फ्री बिजली के झांसे में प्रदेश की जनता कितना फंसती है यह तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में है। लेकिन यह तय है कि ‘फ्री’ बिजली का यह लालच मात्र प्रदेश की जनता को लुभाने के लिए पार्टियों का चुनावी पैतरा मात्र है और कुछ नहीं। केजरीवाल ने उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव-2022 के लिए चुनावी करंट ‘फ्री’ दे दिया है। चुनावी समर में केजरीवाल के फेंके गये ‘फ्री’ पैंतरे के जाल में कांग्रेस व भाजपा तो फंस चुकी है। बस अब देखना है कि जनता इस ‘फ्री’ के करंट के जाल में कितना उलझती है?

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