किसानों के जत्थे दिल्ली की सीमाओं से घर के लिए हुए रवाना

नयी दिल्ली (वार्ता)। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के साथ सहमति बनने के बाद आंदोलन स्थगित करने की घोषणा के बाद आंदोलनकारी शनिवार से घर वापसी कर रहे हैं।

किसानों ने सिंघू बॉर्डर, कुंडली बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर से अपने घरों की ओर रवाना हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून की वापसी का ऐलान किया था और शीतकालीन सत्र में उसे अमलीजामा भी पहना दिया गया था। उसके बाद किसान संगठन एमएसपी की गारंटी सहित तमाम किसानों से जुड़ी मांगों को लेकर अड़े थे। सरकार ने किसानों की लगभग सभी मांगे मान ली है, जिसकी कृषि सचिव के हस्ताक्षर से चिट्ठी जारी करने के बाद किसानों ने आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया था।
सत्रह सितंबर 2020 को तीनों कृषि विधेयक लोकसभा से पारित हुए। इसे 20 सितंबर, 2020 को भारी हंगामे के बीच राज्यसभा में पारित किया गया। 27 सितंबर, 2020 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद इसने कानून की शक्ल ले ली।

पचीस नवंबर, 2020 को किसान संगठनों ने दिल्ली चलो आंदोलन का आह्वान किया। 26 नवंबर को दिल्ली की ओर जा रहे किसानों का पुलिस के साथ आमना-सामना हुआ। पुलिस ने किसानों को दिल्ली बॉर्डर की ओर बढ़ने से रोकने के लिए वॉटर कैनन और आंसू गैस छोड़े।

तीन दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर शुरू हुआ। कई दौर की बातचीत के बाद नौ दिसम्बर को किसानों ने कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव खारिज कर दिया।
उच्चतम न्यायालय में 11 दिसंबर कृषि कानूनों को लेकर याचिका दायर की गई। सर्वाेच्च अदालत ने 12 जनवरी, 2021 को तीनों कृषि कानूनों को स्थगित कर दिया।

किसानों संगठनों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर 26 जनवरी किसानों ने ट्रैक्टर रैली बुलाई। इस दौरान दिल्ली के कई इलाकों में हिंसक झड़पें हुईं।इस दौरान लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराए जाने की घटना हुई जिस मामले में कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर के कानून वापसी के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी कानून, मुकादमा वापसी, शहीद किसानों को मुआवजा सहित छह मांगे सरकार की सामने रखी। 24 नंवबर केंद्र सरकार ने कृषि कानून को वापस लेने के लिए कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी। 29 नंवबर को संसद के शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों से कृषि कानून को वापस लेने के विधेयक को पारित किया गया।

कृषि कानून के वापसी के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की चार दिवंगत को बैठक हुई, जिसमें एमएसपी गारंटी कानून सहित तमाम मांगों को लेकर सरकार के सामने प्रस्ताव के लिए एक पांच सदस्यी कमेटी बनी।सरकार के प्रस्ताव पर आठ दिसम्बर को संयुक्त किसान मोर्चा की असहमतियों के बाद केंद्र सरकार ने नया प्रस्ताव भेजा था। उसके बाद सरकार और किसान संगठनों के बीच नौ दिसम्बर को सहमति बनने के बाद आंदोलन को स्थगित करने का एलान किया था।

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