प्रसिद्ध नाग मन्दिर, बेरीनाग
बेरीनाग गाँव में स्थित एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह नागमंदिर पेड़ों और छोटी घाटियों से घिरा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि 14वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के पंत यहाँ बसने के लिए आए थे तथा इस जगह पर उन्होंने बड़ी संख्या में विभिन्न रंगों के साँप देखे थे। इसी कारण से साँपों के लिए एक मंदिर बनवाया गया सिका नाम ‘नागमंदिर’ रखा गया। एक अन्य मान्यता के अनुसार, कालीनाग को मारने के बाद, श्रीकष्ण ने उसे यमुना नदी को छोड़ने को कहा था। उसके बाद अनेक अनुयायियों के साथ कालीनाग संभवतः इस जगह पर आया था। चैकोरी में अनेक ऐतिहासिक मंदिर स्थित हैं। बेरीनाग गाँव में स्थित नागमंदिर एक प्रमुख तीर्थ है। ऐसा माना जाता है कि यह नागमंदिर नागवेणी राजा बेनीमाधव द्वारा बनवाया गया था। यहाँ आने वाले यात्री समुद्रतल से 1350 मी. ऊपर स्थित पटल भुवनेश्वर भी देख सकते हैं।
भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर तक एक सुरंगनुमा गुफा से होकर पहुँचा जा सकता है। चैकोरी , महाकाली मंदिर के लिए प्रसिद्ध है जो कि भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। आदिगुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर को शक्तिपीठ बनाने के लिए चुना था जो कि हिंदु धर्म की देवी काली को समर्पित है। यहाँ आने वाले यात्री उल्का देवी का मंदिर भी देख सकते हैं जो पिथौरागढ़-चंडक मोटर मार्ग पर टूरिस्ट रेस्टहाउस के पास स्थित है। घनसेरा देवी मंदिर में विभिन्न भगवानों की पत्थर पर बनी सुंदर नक्काशी देखी जा सकती है। कामाक्ष मंदिर और केदार मंदिर चैकोरी के अन्य प्रसिद्ध तीर्थ हैं। पिठोड़गढ़-चंडक मोटर मार्ग पर स्थित उल्का देवी मंदिर एक प्रसिद्ध तीर्थ है। इस मंदिर के पास एक टूरिस्ट रेस्ट हाउस और शहीदों को समर्पित एक स्मारक बना है। इस जगह से यात्री सोर घाटी के सुंदर नजारें देख सकते हैं।
घनसेरा देवी मंदिर पहाड़ी के ऊपर बनी घनसेरा गुफाओं में स्थित है। इसी के पास असुरचुला मंदिर भी स्थित है।
इन मंदिरों में विभिन्न देवी-देवताओं की पत्थर से बनी अनेक मूर्तियाँ हैं। मान्यताओं के अनुसार, पत्थर की ये मूर्तियाँ कार्तिकेय पुर के खेल राजाओं द्वारा स्थापित की गई थी। इन सभी मूर्तियों में से दो मूर्तियाँ गुप्त वंश के शासनकाल की हैं।