इलेक्ट्रिक गाड़ी पर्यावरण खूंणि बौत नखरु छन, आईआईटी कानपुर क् अध्ययन मा ऐ या बात समणि
नै दिल्ली। पर्यावरण तैं बचौंणा खूंणि सरकार नै योजना बणाणि च, जै से ग्लोबर वार्मिग तैं रवक्यें जै सक्यां अर स्वच्छ अर स्वस्थ पर्यावरण आण वलि पीढ़ी तैं दियें जै सक्यां। पर्यावरण तैं हारु-भर्यूं बणौंणा खूंणि इलेक्ट्रिक क गाड़ियौं क पॉलिसी बणें अर सर्या देस मा इलैक्ट्रिक गाड़ी चलौंणा पर जोर द्यायी। यांका पिछनै पेट्रोल अर डीजल क खपत कम करणु छायीं पर अब एक खुलास ह्वै की इलेक्ट्रिक गाड़ी पर्यावरण खूंणि अच्छी नीं छन, इलेक्ट्रिक गाड़ी पर्यावरण तैं बौत जादा ट्वटा हूंणू च।
या बात आईआईटी कानपुर न क अध्ययन कैकि बोलि बल इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण तैं जादा नुकसान पौंछणु च, पेट्रोल अर डीजल से जादा बैटरी से चलण वलि गाड़ियों मा 15 से 50 प्रतिशत जादा ग्रीनहाउस गैस निकलदि। यु अध्ययन जापान क एक संगठन क मदत से आईआईटी कानपुर न कायी।
कानपुर क इंजन रिसर्च लैब क अध्ययन रिपोर्ट मा बतैग्यें कि हाइब्रिड अर पारंपरिक इंजन क तुलना मा इलेक्ट्रिक कारु तैं बणौंण मा इस्तेमाल हूंण वलु लुवा (स्क्रैपिंग) 15 से 50 प्रतिशत जादा ग्रीनहाउस गैस पैदा करणु च। या बात गाड़ियौं तैं प्रति किलोमीटर छाल एनालिसिस करणा फर पता चलि कि इलेक्ट्रिक गाड़ियौं क कीमत, टमणा कु खरचा अर इंश्योरेंस भी 16 से 60 प्रतिशत जादा च अर हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कार पर्यावरण खूंणि जाता अच्छी छन।
यु अध्ययन तीन तरौं क गाड़ियौं का कर्यें ग्ये। जैमा पारंपरिक इंजन वलि कार, जु पेट्रोल अर डीजल से चलदि, इलेक्ट्रिक कार, जौ थैं चलौंणा खूंणि पूरी तरौं बैटरी कु इस्तमाल हूंद। जैमा बैटरी बिजली से चार्ज हूंद अर यांक बाद कार चलदि।
हाइब्रिड कार मा डीजल अर पेट्रोल इंजन क दगड़ एक बैटरी कु इस्तमाल कर्यें जान्द, जु इलेक्ट्रिक मोटर तैं तागत देन्द। द्विया तरौं क तकनीक कारू तै कंबाइंड तागत मिलदि।