एक कपड़ा कु टुकड़ा नि च ‘ तिरंगा’
पन्द्रा अगस्त, जै दिन का खातिर असंख्य ज्ञात-अज्ञात वीर शहीद ह्वैंन। देशैं आजादी बान अंग्रेजी हुकूमत का खिलाफ निहत्था लोगोंन लणै लड़े। अन्याय भ्रष्टाचार अर शोषण का खिलाफ आम जनता तैं जागरूक व एकजुट कर्यें अर हैंसदा-हैंसदा अपणा प्राण निछावर कैरिं दीं। ऐ कारण हम आज आजादी क अमृत महोत्सव मनाणा छा। हमर देस थैं आजादी क 75 साल ह्वैग्यीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीन देस क सबि रैवासियों से या विनती कायी कि 13 से 15 अगस्त तक अपड़ा घौर मा तिरंगा लग्यां।
प्रधानमंत्री क या अपील बौत भळि च। प्रधानमंत्री अपड़ा अपड़ा घौर मा तिरंगा लगाणा क विनती कायी अर या खूंणि उन्न झण्डा संहिता मा बदलाव भि करिन। लेकिन याका बाद भि वै दिन बटि कै सवाल जिकुड़ि मा रिटणां छायीं।
जू सवाल जिकुड़ि मा रटणा छायीं आज सै साबित हूंणा छन। आज हमर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा खूंणि बण्यां नियमौ कु खुळ कैकि उल्लंघन हूंणि च।
पैळि छप्पया झण्डा पर हि सवाल छन। तिरंगा छप्पणा मा नियमुकु खुळ कैकि उल्लंघन कर्यें ग्यें। कखि झण्डों फर चक्र ट्याडु छप्यूं च, त कखि झण्डा मा चक्र हि नि च।
त नायलौनक कपड़ा मा छप्यूं झण्डा मा एक तरफौं धागा निकल्यां छन। कतगै झण्डौं मा केसरिया रंगा क मत्थी सफेद, अर हारू रंग ताल सफेद रंगा क पट्टी छुट्यीं च।
त कतगै झण्डौं मा केसरिया पट्टी जादा चौड़ी त कैमा हारू रंगाक पट्टी जादा चौड़ी छप्पी च।
झण्डा फैराणा क नियम:
अब झण्डा थैं रातिमा बि फैर्हे जै सकदू।
हमथैं तिरंगा लगान्द दा ईं बातिकु भि ध्यान रखण प्वाड़ळु कि झण्डा अध्धा झुक्यूं नि हूंण चैंद।
तिरंगा थैं डण्डा पर लिप्टैकि नि लिज्यें जै सकदु।
डण्डा पर फैर्यूं तिरंगा भूंयां मा नि लगण चैंद।
तिरंगा मा केसरिया रंग हमेसा मत्थी रालु।
झण्डा फट्यूं, मैळु अर झण्डा फर मून्जा नि हूंणि चैंद मतबल झण्डा साफ अर प्रेस हूंण चैंद।
झण्डा संहिताक भाग III क धारा IX मा ब्वलें ग्यें कि झण्डा थैं केवल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल अलाव कै भि गाड़ी मा नि लग्यें जालु।
कै दूसर झण्डा थैं तिरंगा से ऊंचु या तिरंगा क बराबर मा नि लग्यें जाळु।
झण्डा थैं इन्न जगा मा फैर्णा चैंद जख बटि झण्डा साफ दिख्यें ज्यां।
अफसोस मनखियों मा देस के प्रति इतगा उमंग च कि झण्डा संहिताक कैभि नियमाकु पालन सै ढ़ग से नि हूंणि च अर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगाक नियमुकु खुळ कैकि उल्लंघन हूंणि च। अब यू गलतिळ हूंणू च या जांणि बुझिक ईं बातिकु अब कु मतलब नि च। किलैकि राजनीतिक दळु न अपड़ि शान खूंणि तिरंगा क शान थैं नुकसान त पौच्यें हि याली।
कखि तिरंगा दुकनियां मा सुदि प्वड़या छन त कखि स्कुटर मा खुट्टा धरणाक जगा मा धैरिक लिज्यें जाणु च। या फिर डण्डा फर तिरंगा थैं धुमैंकि लिज्यें जाणु च? कार, ट्रक, मोटरसैकिल अर सैकिलियु मा बि तिरंगा लग्यें जाणु च।
तिरंगा क इतगा बेजति क बाद भि जनता थैं हि ब्वलें जाणु च बल जै घौर मा तिरंगा ळैंह्रान्दु नि दिख्यें वै घौर फर देस विश्वास नि कैरि सकदु।
आजादी कु कुईं मोल नि च या हम खूंणि अनमोल च या बात हम सबि देस क रैवासी बौत अच्छी तरौं जण्दन। त बडु सवाल यौ च कि घौर मा तिरंगा लगौंण जरूरी च कि वैकु सम्मान जादा जरूरी च? क्या सिरफ घौर मा तिरंगा लगौंण से हमरि गिनती देसभक्त मा ह्वै जाली? हम खूंणि घौर मा तिरंगा लगणा से जादा वैकु सम्मान जादा जरूरी च। अब क्वीं विश्वास कर्यां या न कर्यां।
अब ज्यूं याल झूरेणु च कि 15 अगस्त क बाद यू झण्ड़ों कु क्या होलु।
तिरंगा कै राजनीतिक दळकु झण्डा नि या बात हमथैं समझण प्वाड़लि। तिरंगा कु हाल राजनीतिक दळु क झण्डौंक तरौं नि हूंण चैंद। हमथैं ई बातिकु भि ध्यान देंण प्वाडळु अर 15 अगस्ता क बाद झण्डा थैं ससम्मान उतारिक रखण प्वाडळु। किलैकि तिन रंगु कु तिरंगा हमर देसा कु राष्ट्रीय ध्वज च। हमरि आन, बान, शान क पछ्याण गर्वा कु निसाण ‘तिरंगा’ च।
इन्न मा अब 15 अगस्त क बाद ससम्मान तिरंगा थैं उतारिक धरणा क जिम्मेबरि हम सब्यौं क च। किलैकि तिन रंगु के तिरंगा हम खूंणि एक कपड़ा कु टुकड़ा नि च, तिरंगा हमरि स्वतंत्रता, लोकतंत्र, एकता अखंडता क अभिव्यक्ति च।