दंगलेश्वर महादेव

कोटद्वार से लगभग 54 किमी. तथा पौड़ी से 52 किमी. की दूरी पर स्थित है सतपुली। समुद्र तल से 657 मीटर की ऊंचाई पर पूर्वी नयार नदी के किनारे स्थित यह छोटा सा पर्वतीय नगर है। मान्यता है कि कोटद्वार से इस स्थान तक मार्ग में सात पुल होने के कारण इस स्थान का नाम सतपुली पड़ा।

सतपुली से मात्र एक किमी. की दूर सतपुली ताड़केश्वर मार्ग पर पूर्वी नयार तथा उत्तरमुखी नारद गंगा के संगम पर स्थित है दंगलेश्वर महादेव का मंदिर। आम, पीपल, कनेर व हवन सामग्री में प्रयुक्त होने वाले अनेक प्रकार के वृक्षों से आच्छादित यह मंदिर परिसर शांत, निर्मल वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि मंदिर के समीप संगम स्थल पर एक विशाल प्राचीन शिला है, जिसकी गहराई का कोई अनुमान नहीं है। उस शिला पर 364 ज्योतिर्लिंग हैं, जो कि 12 वर्षों में एक बार दिखाई देते हैं। बाबा जगदीश नाथ फलाहारी के अनुसार वर्ष 2005 में उन्हें उन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन हुए हैं।

मंदिर परिसर में मुख्य शिव मंदिर के साथ-साथ दुर्गा मंदिर एवं भैरवनाथ मंदिर भी है। मंदिर परिसर में आठ धर्मशाला हैं। जहां यात्री ठहर सकते हैं, परंतु भोजन की व्यवस्था स्वयं करनी होती है। मकर संक्रांति, वसंत पंचमी, शिवरात्रि, जन्माष्टमी, बैसाखी के अवसर पर काफी दर्शनार्थी इस मंदिर में पहुंचते हैं।
सावन माह में श्रद्धालुओं द्वारा मूर्तिरूप नंदी बैल भी इस मंदिर को अर्पित किए जाते हैं।

बताया जाता है कि सन् 1948 के आसपास इस स्थान पर बाबा नागेंद्रगिरि महाराज आए थे। उन्होंने इस स्थान को प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक रूप से काफी समृद्ध बनाया और मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया।

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