देवस्थानम बोर्ड मामळु क्या सरकारक हथ बटि चिफली ग्यायी ?
देरादूण। देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड कु मामळु बढ़दैै जाणू च। देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का मामळु मा सरकार क बरमण्ड मा झुराट (चिन्ता) प्वड़ि ग्यायी।
चर्या धाम का तीर्थ पुराहित सरकार से नाराज छन त कांग्रेस आगि मा घ्यूं डळणा कु काम करणि च। तकरार इतगा बढ़ि ग्यायी कि सरकारक् आफत कम हूंण का नाम नि लिंणि च ।
बतै दै कि पैळिक मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत क बगत मा एक आदेश ह्वै छायी जै मा यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ अर बदरीनाथ धाम अर ऊं से जुड्यां 51 मन्दिरों क् रखरखाव कु काम सरकारक हथ मा ऐग्यायी छायी। एक्ट इतगा जल्दी मा बणिं कि सरकारळ कै थैं अपड़ा विश्वास मा नि ल्यायी। ऐका बाद ऐ मामळ मा तीर्थ पुरोहित हाईकोर्ट मा चळिग्यीं। हाईकोर्ट ळ ऐ मामळ थैं रद्द कैरि द्यायी। हाईकोर्ट का आदेश क बाद त्रिवेन्द्र सरकार थैं इन्न लग्गि कि ऊंकी जीत ह्वैग्यायी लेकिन बात अबि खत्म नि ह्वै। तीर्थ पुरोहित अब लड़ै खूंणि त्यार छन।
बतै दै कि तीरथ सिंह रावत न हरिद्वार मा देवस्थानम बोर्ड पर दुबरा विचार करणा बात बोळी छायी। जै का बाद तीर्थ पुरोहितों क् आस बढ़िग्ये छायी। लेकिन अब नि लग्णु च कि सरकार मा बैठ्यां अफसर भि नि चांदा च कि ऐ मामळकु हळ ह्वै सक्यां। किळै कि मुख्यमंत्री क घोषणा क बाद शासनादेश अभि तक नि ह्वै।
ऐ मामळ मा जब मुख्यमंत्री न दुबरा विचार करणा क बात बोळियाळी त अफसरू थैं मुख्यमंत्री क आदेशों पाळण करण चैंद। लेकिन अफसरसाही न नै ळोगु थैं दवेस्थानम बोर्ड मा नामित कैरिक ए मामळा मा आग लगै द्यायी। अब इन्न देख्येंणु च कि यू मामळु सरकारक हथ बटि चिफली ग्यायी।
यखम अब देख्यणीं वळि बात या च कि तीरथ सरकार ऐ मामळु थैं कन्नकैकि सुळटान्द। उन्न त यू मामळु अबि सुप्रीम कोर्ट मा च अर असळी फैसळा त बखि बटि आणा।